दिल्ली मेयर चुनाव में LG ने पहली बार लिया ये फैसला, SC का आदेश बना आधार
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दिल्ली को निर्धारित अवधि से सात महीने देरी से नया मेयर मिलने जा रहा है. मेयर चुनाव को लेकर एलजी ने पहली बार एक फैसला लिया है. एलजी के इस फैसले के पीछे सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आधार बताया जा रहा है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को तय समय से सात महीने की देरी से नया मेयर मिलने जा रहा है. नए मेयर का चुनाव अप्रैल महीने में ही होना था लेकिन इसमें पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति को लेकर एक नियम आड़े आ गया था. पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति दिल्ली सरकार की सिफारिश से उपराज्यपाल को करनी होती थी. दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल तब जेल में थे और दिल्ली सरकार की ओर से भेजी गई संस्तुति पर उनके हस्ताक्षर नहीं होने को आधार बनाकर एलजी ने पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति से इनकार कर दिया था.
एलजी ने महापौर शैली ओबेरॉय से ही अगले आदेश तक कामकाज संभालने के लिए कहा था. दिल्ली में मुख्यमंत्री बदलने के बाद नई सरकार ने मेयर चुनाव की प्रक्रिया दोबारा शुरू की. चुनाव के लिए 14 नवंबर की तारीख तय हो गई लेकिन एलजी को इस बार पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए न तो दिल्ली सरकार की संस्तुति की जरूरत पड़ी और ना ही उस संस्तुति पर सीएम के हस्ताक्षर की.
एलजी ने की पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति
दिल्ली नगर निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब पीठासीन की नियुक्ति सीधे एलजी ने कर दी हो. एलजी ने दिल्ली मेयर चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन नियुक्त किया है. मेयर चुनाव के लिए एलजी की ओर से की गई पीठासीन की नियुक्ति के साथ ही यह साफ हो गया है कि इसमें दिल्ली सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी और आगे भी एलजी दफ्तर यही प्रक्रिया अपनाने वाला है.
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एलजी के फैसले का सुप्रीम कोर्ट कनेक्शन
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