दिल्ली धर्म संसद में मुस्लिम विरोधी भड़काऊ भाषा का प्रयोग नहीं हुआ, दिल्ली पुलिस का हलफनामा
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हलफनामे में कहा गया है कि पुलिस ने घटना के खिलाफ शिकायतों की प्रारंभिक जांच की और दिए गए भाषणों की वीडियो रिकॉर्डिंग की जांच की है. जांच के बाद पुलिस को उन वीडियो में ऐसे कोई शब्द नहीं मिले हैं, जिनका मतलब या भाषण में एक पूरे समुदाय की हत्या के लिए खुले आह्वान या मुसलमानों के नरसंहार के लिए खुले आह्वान के रूप में व्याख्या की जा सकती है.
नई दिल्ली: दिल्ली में आयोजित हुई धर्म संसद में किसी भी तरह से किसी विशेष समुदाय के खिलाफ भड़ाकाऊ भाषा या शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है. दिल्ली पुलिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर किये गए हलफनामे में ये बात कही गयी है. दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हिंदू युवा वाहिनी कार्यक्रम में सुदर्शन टीवी के सुरेश चव्हाणके का भाषण हेट स्पीच नहीं है. और न ही कार्यक्रम में कोई नफरत की भाषा व्यक्त नहीं की गई.
क्या है इस हलफनामे में दिल्ली पुलिस की ओर से दक्षिण पूर्व दिल्ली की उपायुक्त कि ओर से हलफनामा दायर किया गया है. दायर किये गये हलफनामे में कहा गया कि दिल्ली के गोविंदपुरी में हिंदू युवा वाहिनी कार्यक्रम में सुरेश चव्हाणके के भाषण में इस्तेमाल किए गए शब्दों में से किसी का भी यह मतलब नहीं था कि "मुसलमान जमीन के हड़पने वाले". ना ही ऐसा कोई शब्द कहा गया जिसे किसी भी धर्म के खिलाफ उन्माद का माहौल पैदा किया जा सके.
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