![थाला से लेकर थलपति तक, क्यों तमिल सुपरस्टार्स को इन नामों से बुलाते हैं? जनता का प्यार ही नहीं मार्केटिंग भी है वजह!](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202304/tamil_stars_titles_full_story-sixteen_nine.jpg)
थाला से लेकर थलपति तक, क्यों तमिल सुपरस्टार्स को इन नामों से बुलाते हैं? जनता का प्यार ही नहीं मार्केटिंग भी है वजह!
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तमिल फिल्म इंडस्ट्री में हर बड़े स्टार के नाम के साथ आपको कोई न कोई टाइटल लगा मिल जाएगा. कोई सुपरस्टार है, कोई थलपति तो कोई चियान. लेकिन किसी भी स्टार को ये टाइटल यूं ही नहीं मिल जाते. हर टाइटल के पीछे का कुछ फंडा है, कोई कहानी है. आइए बताते हैं बड़े तमिल स्टार्स के टाइटल्स की पूरी कहानी.
साउथ की इंडस्ट्रीज में एक्टर्स के नामों के साथ लगे टाइटल अपने आप में एक बड़ी फैन्सी फीलिंग देते हैं. खासकर, तमिल सिनेमा में तो स्टार्स के नाम के साथ आपको कोई न कोई टाइटल जरूर लगा मिल जाएगा. तमिल ऑडियंस अपने स्टार को प्यार ही नहीं करती, बल्कि एक तरह से पूजती है. रजनीकांत हों या कमल हासन या फिर कोई भी बड़ा तमिल एक्टर, सबके नामों के साथ आपको एक टाइटल मिल जाएगा जो उनके स्टारडम की हाईट से जुड़ा होता है.
स्टार्स खुद इन टाइटल्स के साथ शुरू में बहुत कम्फर्टेबल नहीं रहे. रजनीकांत अपने नाम के साथ 'सुपरस्टार' लगाए जाने से थोड़ा हिचक रहे थे, लेकिन कुछ साल बाद पूरे इंडिया ने उन्हें इसी टाइटल से पहचानन शुरू कर दिया. अपनी सॉलिड एक्टिंग परफॉरमेंस से लोगों के दिल में जगह बनाने वाले विजय सेतुपति का भी एक टाइटल है. लेकिन जब वो अपने नाम के साथ ये टाइटल जोड़ने में हिचक रहे थे तो उनके डायरेक्टर ने कहा, 'इन टाइटल्स में एक पॉजिटिव वाइब होती है. ये टाइटल तुम्हें एक जिम्मेदारी का एहसास करवाएगा और जब लोग तुम्हें इस नाम से बुलाएंगे तो उन्हें सही दिशा में सोचने की तरफ भी ले जाएगा.'
थलाइवा हों, थाला हों या फिर थलपति... तमिल स्टार्स को मिले टाइटल्स की भी अपनी एक कहानी होती है. किसी को इमोशनल होकर टाइटल दिया गया, तो किसी के टाइटल के पीछे मार्केटिंग का फंडा है. किसी के नाम में टाइटल न लगाया जाए तो शायद लोग पहचानें ही नहीं. आइए आपको बताते हैं कि बड़े तमिल स्टार्स को उनके टाइटल कब और कैसे मिले. और इनके पीछे कहानी क्या है...
रजनीकांत रजनीकांत ने अपना करियर 1975 में शुरू किया था. फिल्म 'अपूर्वा रागंगल' में उन्हें एक छोटा सा किरदार निभाने को मिला. लेकिन डायरेक्टर एम भास्कर ने उन्हें स्क्रीन पर लीड रोल करने का पहला बड़ा मौका दिया. 'भैरवी' नाम की ये फिल्म 1978 में रिलीज हुई.
रिपोर्ट्स बताती हैं कि तब तमिल सिनेमा के बड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स में से एक के. धनु ने चेन्नई सिटी एरिया में 'भैरवी' दिखाने के राइट्स खरीदे थे. उन्होंने फिल्म का भौकाल बनाने के लिए चेन्नई के अन्ना सलाई एरिया में प्लाजा थिएटर के बाहर, रजनीकांत का एक 35 फुट का कटआउट लगवा दिया. इसी थिएटर पर उन्होंने फिल्म के तीन अलग-अलग पोस्टर भी लगवाए जिनपर रजनी के नाम के साथ 'सुपरस्टार' लिखा था.
शुरुआत में रजनीकांत अपने नाम के साथ 'सुपरस्टार' लगाने को लेकर बहुत कम्फर्टेबल नहीं थे. उन्हें लगता था कि ये शब्द तमिल सिनेमा के आइकॉन कहे जाने वाले एमजीआर और शिवाजी गणेशन के साथ लगाया जाना ही ठीक है. लेकिन धीरे-धीरे जनता ने न सिर्फ रजनी को अपना 'सुपरस्टार' बना लिया, बल्कि उनका ये टाइटल भी परमानेंट हो गया. आगे चलकर रजनी ने अपनी कई फिल्मों में ऐसी कहानियां और किरदार जिनमें एक सोशल मैसेज था. सोच में बदलाव की मांग करती रजनीकांत की इन फिल्मों से जनता ने उन्हें 'लीडर' या 'बॉस' के लिए इस्तेमाल होने वाले तमिल शब्द 'थलाइवा' का टाइटल दिया. कमल हासन ये बात बहुत लोगों को नहीं पता होती कि 'सुपरस्टार' टाइटल सिर्फ रजनीकांत के लिए ही नहीं इस्तेमाल हुआ. रिपोर्ट्स बताती हैं कि 1981 में जब कमल हासन की फिल्म 'एक दूजे के लिए' रिलीज हुई, तो इसके एक पोस्टर में कमल हासन को 'इंडिया का नंबर 1 सुपरस्टार' बताया गया था. लेकिन तमिल सिनेमा के आइकॉनिक एक्टर्स में शामिल कमल का जो टाइटल सबसे ज्यादा पॉपुलर है, वो है 'उलगनायगन' यानी 'यूनिवर्सल हीरो'.