
तलाक के बाद कैसे तय होती है एलिमनी की रकम, क्या पति को भी मिल सकता है गुजारा भत्ता?
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शैक्षिक रूप से योग्य होने के बावजूद कोर्ट यह स्वीकार करेगा कि प्रिया ने अपने पति के व्यवसाय, उसके परिवार और उनके बच्चों को पालने के लिए अपने करियर का त्याग किया. ऐसे में दिए गए गुजारा भत्ते का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि तलाक के बाद प्रिया पहले जैसी लाइफस्टाइल मेंटेन कर सके.
भारत के स्टार क्रिकेटर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) का शादी के 4 साल बाद धनश्री वर्मा (Dhanashree Verma) से तलाक हो गया है. कोर्ट के आदेश के बाद चहल ने एलिमनी के तौर पर धनश्री को 4.75 करोड़ की मोटी रकम अदा करेंगे. क्रिकेटर अब तक करीब 2.30 करोड़ रुपये दे चुके हैं और बाकी की रकम आगे चुकाएंगे. तलाक और फिर एलिमनी का यह कोई पहला मामला नहीं है. चाहे किसी हॉलीवुड सेलिब्रिटी का तलाक हो या बॉलीवुड में हाई-प्रोफाइल ब्रेकअप, इमोशनलड ड्रामा के अलावा एलिमनी की मोटी रकम हमेशा से चर्चा का विषय बनती आई है.
कैसे तय होती है एलिमनी?
ऐसे में कई लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर अदालतें कैसे तय करती हैं कि एक पति या पत्नी को दूसरे को कितनी रकम एलिमनी के तौर पर देनी चाहिए. वैसे तो देश में तलाक के बाद एलिमनी की रकम देश में किसी तय फॉर्मूले पर आधारित नहीं है. अदालतें पति-पत्नी दोनों की वित्तीय स्थिति, उनकी कमाई की क्षमता और शादी में उनके योगदान जैसे कई फैक्टर्स देखने के बाद इस पर विचार करती हैं.
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मैग्नस लीगल सर्विसेज एलएलपी में पार्टनर और फैमिली लॉ एडवोकेट निकिता आनंद ने कहा कि भारत में तलाक के मामलों में गुजारा भत्ता यानी एलिमनी को लेकर कोई सख्त नियम नहीं है. अदालतें कई फैक्टर के आधार पर फैसले लेती हैं, जैसे कि दोनों पति-पत्नी की वित्तीय स्थिति, उनकी कमाई की क्षमता और विवाह में उनका योगदान. उदाहरण के लिए अगर 20 साल से गृहिणी रही प्रिया अपने अमीर कारोबारी पति राजेश को तलाक देती है, तो कोर्ट उसकी स्वतंत्र आय की कमी और राजेश की पर्याप्त आय पर विचार करेगा.
कमाई और शादी के दौरान बर्ताव अहम

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