डार्क पैटर्न को लेकर एक्शन में सरकार, पकड़े जाने पर 10 लाख तक जुर्माना... जानिए क्या है मामला
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28 जून को सरकार ने इस मामले में एक ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार किया गया था, जिसको तैयार करने के लिए सभी ई-कॉमर्स कंपनियों और स्टेकहोल्डर के साथ बैठक की गई थी. सरकार ने 30 दिन में सभी स्टेकहोल्डर से सुझाव मांगे थे.
डार्क पैटर्न अपनाने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों पर अब शिकंजा कसने की तैयारी हो चुकी है. सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों के डार्क पैटर्न पर ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी की है.
डार्क पैटर्न अपनाने वाली ई-कॉमर्स कंपनियां दायरे में आएंगी. डार्क पैटर्न का मतलब है अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस यानी इंटरनेट पर डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करके गलत तरीकों से ग्राहकों को प्रभावित करना और ऐसा करने वाले ई-कॉमर्स कंपनियों पर शिकंजा कसा जाएगा. 28 जून को सरकार ने इस मामले में एक ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार किया गया था, जिसको तैयार करने के लिए सभी ई-कॉमर्स कंपनियों और स्टेकहोल्डर के साथ बैठक की गई थी. सरकार ने 30 दिन में सभी स्टेकहोल्डर से सुझाव मांगे थे. उपभोक्ताओं के पसंद को मैनिपुलेट करने की हर कोशिश करने वाले ही कॉमर्स कंपनियों पर कार्यवाही की जाएगी. इसका पालन नहीं करने वाली कंपनियों पर जुर्माना होगा. सरकार कंपनियों पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकती है.
क्या होता है डार्क पैटर्न? - डार्क पैटर्न यानी किसी उपभोक्ता के लिए झूठी और आपात स्थिति बनाना या किसी उपभोक्ता को ये कहना कि यह डील अगले 1 घंटे में खत्म हो जाएगी. - किसी उपभोक्ता के शॉपिंग कार्ट में कोई चीज अपने आप डाल देना या उपभोक्ता को कोई चीज नहीं लेने के लिए शर्मिंदा करना. - उपभोक्ता को जबरदस्ती कोई चीज थोपना. - किसी उपभोक्ता को किसी गैर जरूरी सेवा लेने के लिए उकसाना या उपभोक्ता को सब्सक्रिप्शन के जाल में फंसाना या फिर ऐसी सेवाएं जहां से उपभोक्ता आसानी से ना निकल सके. जानकारी छोटे अक्षरों में देना या छुपाना. - किसी उत्पाद की जानकारी देना और उसके बाद उपभोक्ता के लिए उसे बदल देना. - उपभोक्ता से प्लेटफार्म फीस के लिए अलग से चार्ज करना. - किसी भी तरह से विज्ञापन को छुपा कर प्रस्तुत करना या फिर उपभोक्ता को बार-बार किसी उत्पाद लेने के लिए तंग करना ये सब डार्क पैटर्न कहलाता है.
उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक लगभग 50 कमेंट अलग-अलग स्टेकहोल्डर से सरकार को मिली थी, और ड्राफ्ट गाइडलाइंस को जनता की ओर से काफी तारीफ मिली थी.
उपभोक्ताओं की ओर से डाक पैटर्न में एक नया सुझाव भी जोड़ा गया, जिसको ट्रिक क्वेश्चन कहा जाता है. ट्रिक क्वेश्चन का उदाहरण यह है कि इंटरनेट पर किसी शॉपिंग ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर अचानक आपसे पूछा जाता है कि क्या आप डिस्काउंट और नई कलेक्शन से जुड़े हुए अपडेट वाले संदेश अब नहीं लेना चाहते हैं? इस तरह के ट्रिक क्वेश्चन को भी डार्क पैटर्न माना गया है. रिकरिंग पेमेंट्स को भी डार्क प्रेक्टिस माना गया है, जिसमें किसी कंपनी की ओर से 30 दिन का फ्री ट्रायल दिया जाता है और उसके बाद बिना ग्राहक की मंजूरी के पुनः सब्सक्रिप्शन के लिए उनके खाते से पैसे काट लिए जाते हैं.
ये भी डार्क पैटर्न का एक उदाहरण
स्वास्थ्य बीमा पर 18% जीएसटी से मध्यम वर्ग परेशान है. सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी के कारण लोग निजी अस्पतालों का रुख करते हैं. महंगे इलाज से बचने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं, लेकिन प्रीमियम पर भारी टैक्स लगता है. जीएसटी काउंसिल की बैठक में राहत की उम्मीद थी, पर कोई फैसला नहीं हुआ. देखें...