झारखंड: सियासी संकट के बीच राज्यपाल से JMM का सवाल, कौन-सी सलाह है जो अब तक नहीं ले पा रहे
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चुनाव आयोग ने गुरुवार (25 अगस्त) को झारखंड सीएम हेमंत सोरेन पर लाभ के पद पर होने के आरोपों पर अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेजी है, जिसमें EC ने हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की भी सिफारिश की है. अब गेंद राज्यपाल के पाले में हैं. इसी सिफारिश पर फैसला आना बाकी है.
झारखंड के राजभवन की तीन दिन से चुप्पी हेमंत सोरेन सरकार को हैरान कर रही है. रविवार को आखिरकार सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने एक पत्र जारी किया और खुलकर राजभवन पर भड़ास निकाली. इतना ही नहीं, इशारों ही इशारों में राजभवन को चेतावनी तक दे डाली. पत्र की शुरुआत में JMM ने कानून का हवाला दिया. फिर राजभवन की चुप्पी पर सवाल दागे. इसके साथ ही फैसले में देरी की वजह से हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका भी जताई.
पत्र में जेएमएम ने आदिवासी कार्ड भी खेला और बीजेपी पर हमला बोला. कहा- झारखंड में एक गैंग चल रहा है और यहां आदिवासी मुख्यमंत्री होने की बात किसी को पच नहीं रही है. साथ ही चेतावनी भी दी कि झारखंड हक के लिए झुकाना भी जानते हैं. आखिर में राज्यपाल को संविधान को जिम्मेदारी को बोध भी कराया. पढ़िए पत्र की प्रमुख बातें...
- Representation of the people act 1951, section 9 (A) जिसके अंतर्गत हेमंत सोरेन के सदस्यता रद्द करने की अटकलें लगाई जा रही हैं. ऐसे मामले में आज तक कभी भी किसी की सदस्यता रद्द नहीं हुई तो फिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर ऐसा बर्ताव क्यों?
- क्या कारण है कि चुनाव आयोग के पत्र पर राज्यपाल महोदय ने अभी तक अपना मंतव्य नहीं दिया है? ऐसी क्या कानूनी सलाह है जो वो नहीं ले पा रहे हैं? ये तो सरासर लोकतंत्र और जनता का अपमान है.
- क्या समय काटकर राजभवन विधायकों के खरीद-फरोख्त को हवा देना चाहता है? हमने महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में भी राज्यपाल के पद की गरिमा को गिरते हुए देखा है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. हम किसी की अनुकंपा पर सरकार में नहीं आए हैं.
- बड़ा दुखद है कि राज्य में एक बाहरी गैंग काम कर रहा है. नीचे से ऊपर तक बैठे इस गैंग के सभी लोगों में एक समानता है. समानता है इनके मकसद में. झारखंड और झारखंड के लोगों के प्रति इनके मनमें थोड़ा सा भी स्नेह नहीं है.
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