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ज्वेलरी शॉप में काम, टैक्सी से जाकर ऑडिशन देना... अनोखी है जितेंद्र के स्ट्रगल की कहानी
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जितेंद्र आज भले ही बॉलीवुड के आइकॉनिक एक्टर्स में से एक हों लेकिन यहां तक का सफर उनके लिए आसान नहीं रहा है. अपने एक्टिंग करियर से पहले जितेंद्र ने ज्वेलरी शॉप में काम किया है और फिल्मों में एक मौके के लिए वो हर छोटा-बड़ा रोल कर गुजरने को तैयार रहते थे.
प्रेम चोपड़ा जितेंद्र के उन करीबी दोस्तों में से हैं, जो उन्हें सुपरस्टार होने से पहले जानते थे. प्रेम और जितेंद्र ने लगभग एक साथ ही अपने करियर की शुरुआत की थी. इत्तेफाकन दोनों एक ही बिल्डिंग में रहा करते थे. साथ शुरू किए स्ट्रगल में भी उनकी नवाबी कम नहीं थी, कोलाबा से महबूब स्टूडियो का सफर टैक्सी से किया करते थे. अपने इन्हीं स्ट्रगल और जितेंद्र संग 60 साल की दोस्ती पर प्रेम हमसे दिल खोलकर बातचीत करते हैं.
एक हीरो और विलेन कभी दोस्त नहीं बन सकते
प्रेम बताते हैं, एक जमाना था, जब इस बात का यकीन कर पाना मुश्किल था कि एक हीरो और विलेन भी कभी दोस्त हो सकते हैं. फैंस मेरी और जितेंद्र की दोस्ती को देखकर अक्सर शॉक्ड हो जाया करते थे. फैंस आकर जितेंद्र को कहते थे कि एक विलेन कभी अच्छा दोस्त नहीं हो सकता. फैंस की मासूम भरी बातें सुनकर हम चेहरे पर अपनी मुस्कान रोक नहीं पाते थे.
कार से देने जाते थे ऑडिशन प्रेम बताते हैं, हमारी दोस्ती तो तब से है, जब जितेंद्र और मैं कोलाबा के पोस्ट ऑफिस इलाके में रहा करते थे. वो ज्वेलरी की दुकान में काम किया करता था. हम दोनों ही मुंबई शहर अपने बड़े सपनों को लेकर आए थे. दोनों का ही मकसद फिल्मों में आना था. एक साथ ऑडिशन देने वाले हम स्ट्रगलर्स कब साथ में फिल्मों में आ गए पता ही नहीं चला. दरअसल उस वक्त स्ट्रगल में भी अपनी ही एक फकीरी हुआ करती थी. मजे की बात यह है कि हम ऑडिशन के लिए काली-पीली टैक्सी में ट्रैवल कर जाते थे. बारी-बारी से हमने टैक्सी के भाड़े की जिम्मेदारी ले रखी थी.
काम को लेकर इतने पैशनेट कि कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे. फिल्म में ब्रेक पाने के लिए जितेंद्र को छोटे रोल तक करने में कोई दिक्कत नहीं थी. यहां तक कि वो एक बार एक्ट्रेस के बॉडी डबल भी रह चुके हैं. इन साठ साल की दोस्ती में हमने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन कभी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा. आज भी हम पार्टी फंक्शन में एक दूसरे से मिलते रहते हैं. हर बार मिलने के बाद हमारी बातें वहीं से शुरू होती है, जहां पर आखिरी बार खत्म हुई हो.
बॉलीवुड ही नहीं साउथ में भी उसका जलवा कायम था ज्वेलरी दुकान में काम करते वक्त उसे सांताराम ने स्पॉट कर लिया था. फिर जो जितेंद्र के सफर की शुरुआत हुई, उसने पीछे मुड़कर ही नहीं देखा. हालांकि जितेंद्र उन दिनों हिंदी फिल्मों के साथ-साथ मद्रास के भी स्टार बन गए थे. जितेंद्र बहुत धार्मिक किस्म का बंदा है. अपने परिवार का ख्याल रखता है. आज उसने अपने परिवार के हर सदस्य को सिक्योर कर दिया है. उसके बच्चे, पोते सभी के लिए उसने फ्यूचर प्लानिंग कर ली है. मेरी जब भी उससे मुलाकात होती है, हम फिल्मों की गॉसिप किया करते हैं.