'जानवरों जैसा सुलूक होता है', इंडस्ट्री में सपोर्टिंग एक्टर्स के हाल पर बोलीं 'पंचायत' एक्ट्रेस सुनीता राजवार
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सीरीज 'पंचायत' की एक्ट्रेस सुनीता राजवार ने इंडस्ट्री में कैरेक्टर आर्टिस्ट्स के साथ होने वाले व्यवहार पर बात की है. एक्ट्रेस ने बताया कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में आर्टिस्ट को काफी कुछ सहना पड़ता है. छोटे रोल में दिखने वाले एक्टर्स के साथ इंडस्ट्री में 'जानवरों जैसा सुलूक' किया जाता है
अमेजन प्राइम वीडियो की सीरीज 'पंचायत' के सीजन 3 का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है. इस बीच शो की एक्ट्रेस सुनीता राजवार ने इंडस्ट्री में आर्टिस्ट्स के साथ होने वाले व्यवहार पर बात की है. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में आर्टिस्ट को काफी कुछ सहना पड़ता है. जहां लीड एक्टर्स को राजा की तरह रखा जाता है, वहीं सपोर्टिंग आर्टिस्ट को खास इज्जत नहीं मिलती. इस बारे में बात करते हुए सुनीता राजवार ने बताया कि छोटे रोल में दिखने वाले एक्टर्स के साथ 'जानवरों जैसा सुलूक' किया जाता है.
सुनीताा ने भेदभाव पर की बात
ब्रूट इंडिया के साथ सुनीता राजवार ने कान्स फिल्म फेस्टिवल 2024 से बातचीत की. कान्स 2024 में सुनीता अपनी फिल्म 'संतोष' को रिप्रेजेंट कर रही हैं. इंडस्ट्री के बारे में बात करते हुए सुनीता ने कहा कि इंडस्ट्री ज्यादातर एक्टर्स को टाइपकास्ट कर देती है क्योंकि मेकर्स को उन्हें फिल्म में डालने में आसानी होती है. और बहुत-सी बार एक्टर्स भी इसे अपना लेते हैं क्योंकि उन्हें अपना पेट पालना है और वो नखरे नहीं दिखा सकते. उन्होंने कहा, 'ये दर्दभरा है, लेकिन सच है.'
सुनीताा राजवार ने लीड और सपोर्टिंग एक्टर्स के बीच होने वाले भेदभाव पर भी बात की. उन्होंने कहा कि लीड एक्टर्स को सारी सुविधाएं दी जाती हैं जबकि सपोर्टिंग एक्टर्स को हर चीज के लिए हाथ फैलाने पड़ते हैं. एक्ट्रेस ने कहा, 'लीड एक्टर्स को उनकी मर्जी और सुविधा के हिसाब से कॉल टाइम दिया जाता है.' उन्होंने ये भी कहा कि वो समझती हैं कि लीड एक्टर्स को महीने के 30 दिन काम करना होता है और कभी-कभी पूरे 24 घंटे, सातों दिन वो काम में लगे रहते हैं, लेकिन दूसरों के साथ होने वाला भेदभाव उन्हें नीचा महसूस करवाता है.
टीवी पर होता है ऐसा सुलूक
शूट पर नाजायज वक्त पर बुलाने को लेकर एक्ट्रेस ने कहा, 'अगर आपको पता है कि आप किसी आर्टिस्ट के साथ शूट नहीं करने वाले हैं तो उन्हें बाद में बुला लो. उन्हें पूरा वक्त बैठाकर रखने की क्या जरूरत है. ये ऐसा है जैसे आप दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हो.'
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