जमानत मिल भी गई तो मुख्यमंत्री का काम नहीं कर पाएंगे? पढ़ें- केजरीवाल की अर्जी पर SC ने क्या-क्या कहा
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शीर्ष अदालत ने ED से कहा कि वह जमानत संबंधी दलीलें सुनेगी क्योंकि केजरीवाल दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं और उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने की जरूरत है. पीठ ने कहा, "यह एक असाधारण स्थिति है. ऐसा नहीं है कि वह आदतन अपराधी हैं. चुनाव पांच साल में एक बार होता है. यह फसल की कटाई जैसा नहीं है जो हर चार से छह महीने में होगी."
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर आज मंगलवार को फैसला नहीं हो पाया. कारण, समय की कमी के कारण अंतरिम जमानत पर सुनवाई पूरी नहीं हो पाई. अब परसों 9 मई को दोबारा इस मामले की सुनवाई होगी. ढाई बजे बेंच उठ गई और केजरीवाल को कोई राहत नहीं मिल पाई. सुप्रीम कोर्ट में इस पर लंबी बहस चली. सुनवाई कर रही बेंच का कहना है कि केजरीवाल चुने हुए सीएम हैं और दिल्ली का चुनाव सामने है. ये असाधारण स्थिति है. प्रचार करने देने में कोई हर्ज नहीं है. बेंच ने कहा कि हम सिर्फ अंतरिम बेल पर बात कर रहे हैं.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है, तो उन्हें आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई करते हुए टिप्पणी की, "हम आपको परसों (9 मई) की तारीख देंगे. यदि यह संभव नहीं है, तो हम इसे अगले हफ्ते किसी दिन रखेंगे. अगला हफ्ता बहुत कठिन होने वाला है."
उधर, ईडी ने जमानत का पुरजोर विरोध किया. ईडी का कहना है कि केजरीवाल को जमानत दी गई तो इससे गलत परिपाटी कायम होगी. हर कोई जमानत मांगने लगेगा. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, दो जजों की पीठ ने जेल में बंद मुख्यमंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि क्या केजरीवाल सीएम ऑफिस में उपस्थित होंगे, फाइलों पर हस्ताक्षर करेंगे और अंतरिम जमानत पर रिहा होने पर दूसरों को निर्देश देंगे?".
जवाब में, सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल आबकारी मामलों से नहीं निपटेंगे. वह एक मौजूदा मुख्यमंत्री हैं".
पीठ ने इस पर कहा कि अगर AAP चीफ को रिहा करने का फैसला किया जाता है तो हम बहुत स्पष्ट हैं कि हम नहीं चाहते कि केजरीवाल आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करें क्योंकि इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है. हम सरकार के काम में बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं. यह आपकी इच्छा है कि आप मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं. आज, यह वैधता का नहीं बल्कि औचित्य का सवाल है. हम सिर्फ चुनाव के कारण अंतरिम जमानत पर विचार कर रहे हैं. अन्यथा हम इस पर बिल्कुल भी विचार नहीं करते.
चुनाव पांच साल में एक बार होता है: कोर्ट
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