
गोधरा टीजर: ट्रेन में लगी आग दुर्घटना या षड्यंत्र? फिल्म कर रही सवाल, 2002 में गुजरात के माहौल पर पहले भी बनीं ये फिल्में
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गुजरात के गोधरा कांड पर बनी फिल्म 'गोधरा' का टीजर आ गया है. टीजर में, गोधरा कांड की जांच करने के लिए बने नानावती-मेहता कमीशन की रिपोर्ट का जिक्र है. फिल्म में गोधरा कांड और इसके बाद हुए दंगों की कहानी नजर आने वाली है. आइए बताते हैं इस 'गोधरा' और उन फिल्मों के बारे में जिनमें पहले इस कांड का जिक्र हो चुका है.
21 साल पहले गुजरात में हुई घटनाएं, पूरे देश की याद्दाश्त में आज भी ताजा हैं. अब इन घटनाओं का जिक्र करती एक फिल्म आ रही है. डायरेक्टर एम.के. शिवाक्ष की फिल्म 'गोधरा' का टीजर मंगलवार को रिवील किया गया है. फिल्म के टीजर में फिल्म का कोई कलाकार या किरदार नहीं दिखता, लेकिन फिर भी वीडियो देखकर लोगों को गुजरात में 2002 की घटनाएं एकदम याद आ जाएंगी.
'गोधरा' का टीजर दावा करता है कि फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित है. वीडियो बताता है कि ये फिल्म 2002 के गोधरा कांड और इसके बाद हुए दंगों की कहानी पर बेस्ड है. टीजर की शुरुआत एक दौड़ती ट्रेन से होती है जिस नाम साबरमती एक्सप्रेस बताया गया है. रियलिटी में, अयोध्या से अहमदाबाद लौट रही साबरमती एक्सप्रेस के कोच नंबर S6 में गोधरा रेलवे स्टेशन पर आग लगा दी गई थी.
इस भयानक घटना में 59 लोगों की जान जाने की रिपोर्ट्स थीं, जो कोच के अंदर फंसे रह गए थे. 'गोधरा' के टीजर इस घटना को 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों का ट्रिगर कहा जाता है. कई रिपोर्ट्स इन दंगों में 2000 से ज्यादा लोगों की जान जाने का दावा करती हैं.
गोधरा कांड की सच्चाई और नानावती-मेहता रिपोर्ट फरवरी 2002 में, गोधरा की इस घटना की जांच के लिए गुजरात सरकार ने एक जांच कमीशन बनाया था. इस जांच कमीशन में हाई कोर्ट से रिटायर जज के.जी. शाह और रिटायर सुप्रीम कोर्ट जज जी.टी. नानावटी शामिल थे. कमीशन की रिपोर्ट आने से पहले शाह का निधन हो गया और उनकी जगह गुजरात हाई कोर्ट के रिटायर जज अक्षय मेहता ने ली. इस कमीशन की रिपोर्ट को नानावती-मेहता रिपोर्ट कहा जाता है, जिसमें दावा किया गया कि ये एक पहले से प्लान किया गया षड्यंत्र था. कमीशन ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा 2008 में सरकार को सौंपा था. दूसरा पार्ट 2014 में सामने आया था, जिसमें गोधरा कांड के बाद हुए दंगों को एड्रेस किया गया था.
'गोधरा' के टीजर में काला कोट पहने एक व्यक्ति, एक फाइल पकड़े चलता दिखता है, जिसपर लिखा है- नानावटी मेहता रिपोर्ट. इस फाइल पर साल 2008 लिखा हुआ है. फिल्म के टीजर में सवाल है कि ये घटना 'एक्सीडेंट थी या षड्यंत्र?' और इसके 'विक्टिम कौन हैं?' टीजर में दंगे में जलकर खाक हुई बिल्डिंग, भागते लोग और पुलिस के जलते बैरिकेड भी नजर आते हैं.
ये सीन्स इशारा हैं कि 'गोधरा' सिर्फ गोधरा कांड ही नहीं, बल्कि इसके बाद हुए दंगों पर भी बात करेगी. एक सीन किसी रेलवे स्टेशन का है, जहां एक संदिग्ध तरीके से खड़ा आदमी नजर आता है. लेकिन इस आदमी का चेहरा नहीं दिखाया गया है.

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