गंगा-यमुना में शवों को फेंकने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, कमेटी बनाने की मांग
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एडवोकेट विनीत जिंदल ने याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि मौलिक अधिकार , मानवाधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार और जीवन का अधिकार जिसमें सम्मान के साथ मरने का अधिकार भी शामिल है. शवों को नदी में फेंकने से यह अधिकार प्रभावित हुआ है.
कोरोना संकट के बीच देश के कई इलाकों में शव नदियों में फेंकने के मामले सामने आए हैं. यूपी-बिहार के कई राज्यों में नदी में उतराए हुए शव नजर आए. अब यह मामला कोर्ट पहुंच गया है. बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना नदियों में मिले शवों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. एडवोकेट विनीत जिंदल ने याचिका दाखिल की है .याचिका में कहा गया है कि मौलिक अधिकार , मानवाधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार और जीवन का अधिकार जिसमें सम्मान के साथ मरने का अधिकार भी शामिल है. यह प्रभावित हुआ है. याचिका में मांग की गई है कि सरकार केन्द्र, राज्य और ग्रामीण स्तर पर तीन स्तरीय कमेटी बनाकर शवों का सम्मानपूर्वक संस्कार कराने का इंतजाम सुनिश्चित करे.गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के पैसे से भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और ये रिश्वत भी उन प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई, जिससे 20 वर्षों में अडानी ग्रुप की एक कम्पनी को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी भारतीय रुपयों में लगभग 16 हज़ार 881 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है. आरोप है कि इस मुनाफे के लिए साल 2021 से 2022 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ की सरकारों को लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.
गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उन पर सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले पर NSUI ने भी प्रदर्शन किया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है, जिसमें भ्रष्टाचार और व्यापारिक नैतिकता के सवाल शामिल हैं.