
क्या है स्लीप डिवोर्स, कपल्स जिसका सहारा रिश्ते सुधारने में ले रहे हैं, समझें, कब पड़ सकती है आपको भी इसकी जरूरत?
AajTak
स्लीप डिवोर्स वो एग्रीमेंट है, जिसमें कपल्स एक कमरे की बजाए सोने के लिए अलग कमरा, अलग बेड या अलग समय चुनते हैं. पश्चिमी देशों में इसे रिश्ते में अलगाव की तरह देखा जाता था, लेकिन अब वहां ये ट्रेंड बढ़ा है. अमेरिकी संस्था नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, लगभग 12 से 25 प्रतिशत तक कपल्स अलग-अलग सो रहे हैं, लेकिन वे खुलकर ये बात नहीं बता पाते.
कपल्स के रिश्ते में सबसे जरूरी बात क्या है, ये पूछने पर दुनिया-जहान के जवाब मिल जाएंगे, लेकिन नींद का जिक्र शायद ही कोई करेगा. जोड़े एक बेडरूम में रहते हैं. रातभर उनमें से एक खर्राटे लेता है, या कोई दूसरा रातभर लैपटॉप ठकठकाता रहता है. ऐसे में नींद पूरी नहीं हो पाती. नतीजा! अगली सुबह मामूली बात पर खिटपिट हो जाती है. अब इसी झगड़े को टालने के लिए स्लीप डिवोर्स का चलन बढ़ा है. टिकटॉक पर एक हैशटैग चल रहा है- sleepdivorce, जिसे साढ़े 3 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है.
विक्टोरियन दौर में भी था इसका ट्रेंड स्लीप डिवोर्स टर्म भले ही सुनाई देने में नया है, लेकिन इसका चलन काफी पुराना है. साल 1850 से अगले लगभग 100 वर्षों तक पति-पत्नी एक कमरे में तो होते थे, लेकिन होटलों की तर्ज पर वहां ट्विन-शेयरिंग बेड हुआ करते, यानी एक रूम में दो बिस्तर. ये इसलिए था कि अलग-अलग तरह के काम निपटाकर अलग समय पर कमरे में आए लोग एक-दूसरे को डिस्टर्ब किए बिना आराम से सो सकें.
लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर हिलेरी हिंड्स के अनुसार, ट्विन बेड-शेयरिंग कंसेप्ट 19वीं सदी में आया था, ताकि पति-पत्नी साथ भी रह सकें और चैन की नींद भी ले सकें. हिंड्स ने इसपर एक किताब भी लिखी-कल्चरल हिस्ट्री ऑफ ट्विन बेड्स. इसमें ये तक बताया गया है कि तब के डॉक्टर बेड शेयर करने के मानसिक नुकसान भी बताते थे.
बेड हाइजीन का हवाला दिया जाता था
साल 1861 में हेल्थ कैंपेनर और डॉक्टर विलियम विटी हॉल ने एक किताब में बेड शेयर करने के नुकसान बताते हुए किताब लिख डाली, जिसका नाम था- स्लीप- ऑर हाइजीन ऑफ द नाइट. इसमें हॉल ने दांत साफ रखने और नाखून कटे हुए होने की तरह ही साफ-सुथरे बेड पर अकेले सोने की सलाह दी थी ताकि शरीर कंफर्टेबल रहे. उनका तर्क था कि दो बिल्कुल अलग उम्र या अलग रुटीन वाले लोग अगर एक साथ सुला दिए जाएं तो एक की नींद पर बुरा असर होगा. या हो सकता है कि दोनों की ही नींद पूरी न हो सके.
युद्ध के बाद हुआ बदलाव

Intel CEO Li-Bu Tan salary: हाल में ही Intel ने अपने नए CEO का ऐलान कर दिया है. कंपनी ने बताया है कि Li-Bu Tan चिपमेकर कंपनी के अगले CEO होंगे. टैन 18 मार्च को अपना चार्ज संभालेंगे. बता दें कि Intel ने खराब परफॉर्मेंस की वजह से पुराने CEO, Pat Gelsinger को हटा दिया था. अब Intel के नए CEO की सैलरी भी सामने आई है.

जल्द ही भारत में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को जारी किया जा सकता है. इसके लिए TRAI एक प्रस्ताव तैयार कर रही है. इस प्रस्ताव में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को 5 साल के लिए जारी करने की मांग की जाएगी, जिससे मार्केट ट्रेंड को चेक किया जा सके. स्पेक्ट्रम जारी होने के बाद ही भारत में स्टारलिंक की सर्विस शुरू हो पाएगी. आइए जानते हैं ट्राई के इस प्रस्ताव का स्टारलिंक पर क्या असर होगा.