क्या कमला हैरिस को बनाया जाएगा अमेरिका का राष्ट्रपति? जानें US में क्यों उठ रही मांग
AajTak
अमेरिका में एक नई मांग उठ रही है कि कमला हैरिस को अमेरिका का राष्ट्रपति बनाया जाए. ये मांग डेमोक्रेट्स के कई नेता कर रहे हैं जिसमें हैरिस के पूर्व सहयोगी जमाल सिमन्स भी शामिल हैं. उनका कहना है कि बाइडेन इस्तीफा दें और कमला हैरिस को अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का मौका दें.
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को जीत मिली है और डेमोक्रेट्स उम्मीदवार कमला हैरिस को हार का सामना करना पड़ा है. ट्रंप का दोबारा अमेरिका का राष्ट्रपति बनना तय है. लेकिन इसी बीच अमेरिका में एक नई मांग उठ रही है कि कमला हैरिस को अमेरिका का राष्ट्रपति बनाया जाए. ये मांग डेमोक्रेट्स के कई नेता कर रहे हैं जिसमें हैरिस के पूर्व सहयोगी जमाल सिमन्स भी शामिल हैं. उनका कहना है कि बाइडेन इस्तीफा दें और कमला हैरिस को अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का मौका दें. लेकिन क्या यह अमेरिकियों के लिए उचित होगा कि उन्हें ऐसे उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनाया जाए, जिसने जनता का वोट नहीं जीता?
ट्रंप को मिले इतने वोट
चुनाव जीतने के लिए एक उम्मीदवार को 270 इलेक्टोरल वोट की जरूरत थी. ट्रंप ने 312 इलेक्टोरल वोट हासिल किए. वहीं, हैरिस को सिर्फ 226 वोट मिले. इसके अलावा, रिपब्लिकन पार्टी ने न केवल राष्ट्रपति चुनाव जीता, बल्कि सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स पर भी कब्जा कर लिया. यह भी महत्वपूर्ण है कि ट्रंप ने लोकप्रिय वोट का 50.4% हिस्सा हासिल किया, जबकि हैरिस को 48% वोट मिले. अब यह देखना जरूरी है कि हैरिस को राष्ट्रपति बनाने की मांग कौन कर रहा है और इसके पीछे क्या कारण हैं.
यह भी पढ़ें: ट्रंप और पुतिन के बीच नहीं हुई कोई बात, क्रेमलिन ने मीडिया रिपोर्ट्स को किया खारिज
जो बाइडेन का इस्तीफा और...
अमेरिकी संविधान के अनुसार, सत्ता हस्तांतरण के लिए चार महीने का समय होता है. ट्रंप का शपथ ग्रहण 20 जनवरी को निर्धारित है और डेमोक्रेट्स इस अवधि का इस्तेमाल परिवर्तन लाने के लिए करना चाहते हैं. डेमोक्रेट्स के कई नेताओं ने इस मांग को उठाया है, लेकिन जमाल सिमन्स जो कि हैरिस के पूर्व संचार निदेशक रहे हैं, उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह सुझाव दिया कि जो बाइडेन इस्तीफा दें और अपनी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का अवसर दें.
दक्षिण अमेरिकी देश चिली वैसे तो ईसाई-बहुल देश रहा है, लेकिन अब वहां एक विवादास्पद धार्मिक मान्यता तेजी से फैल रही है. Temple of Satan नाम का धार्मिक संगठन चिली सरकार से आधिकारिक मान्यता चाह रहा है. टेंपल ऑफ सैटन के मानने वाले काली मोमबत्तियां जलाते और कई ऐसी रस्में करते हैं जो मौजूदा धर्मों से अलग हैं. कुछ सालों पहले अमेरिका में भी सैटानिक टेंपल पर विवाद हुआ था. आइए जानते हैं क्या है ये नया धर्म और इसपर क्यों है विवाद?
प्रॉसिक्यूटर्स ने रविवार को मर्चन को ईमेल के माध्यम से इस कार्यवाही को टालने का अनुरोध किया था, जिसमें ट्रंप की 5 नवंबर को हुई राष्ट्रपति चुनावी जीत और जनवरी 2025 में उनके शपथ ग्रहण का हवाला दिया गया था. प्रॉसिक्यूटर्स ने इसे 'अभूतपूर्व परिस्थितियां' बताया. जवाब में, जज मर्चन ने अनुरोध स्वीकार कर लिया और मामले की सभी कार्यवाही 19 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी.