'क्या एयरलाइन दिव्यांगों को पायलट बनाती है?', UPSC में PwD आरक्षण पर बोलीं IAS तो यूजर ने पढ़ाया 'पाठ'
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IAS ऑफिसर स्मिता सभरवाल ने यूपीएससी विवाद के बीच AIS में दिव्यांगों के आरक्षण पर सवाल किया है. उनका कहना है कि IAS, IPS, IFS पदों पर केवल फिजिकल फिट लोग ही काम कर सकते हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर सवाल किया कि क्या कोई एयरलाइन दिव्यांग को पायलट के काम पर रखती है?
प्रोबेशनरी IAS पूजा खेडकर विवाद के बाद UPSC की सिविल सेवा चयन प्रक्रिया को लेकर नई बहस शुरू हो गई है. यूपीएससी की चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी से हर कोई हैरान है. क्योंकि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) पर देश के IAS, IPS, IFS और IRS जैसे प्रतिष्ठित पदों पर योग्य उम्मीदवारों की भर्ती जिम्मा होता है, जिनका देश के विकास में अहम रोल होता है. पूजा खेडकर के PwD आरक्षण का गलत इस्तेमाल करने वाला विवाद अभी थमा भी नहीं था कि एक IAS ऑफिसर ने ऑल इंडिया सर्विसेज (AIS) में PwD आरक्षण पर ही सवाल खड़े कर दिए. उनके हिसाब से IAS, IPS, IFS पदों पर केवल फिजिकल फिट लोग ही काम कर सकते हैं. यानी इन पदों दिव्यांगों की भर्ती नहीं होनी चाहिए.
साल 2000 में तेलंगाना कैडर से IAS ऑफिसर स्मिता सभरवाल ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' पर यूपीएससी विवाद के बीच AIS में दिव्यांगों को कोटे पर अपने विचार रखे हैं. दिव्यांगों के प्रति पूरा सम्मान रखते हुए उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'क्या कोई एयरलाइन दिव्यांग को पायलट के काम पर रखती है? या आप दिव्यांग सर्जन पर भरोसा करेंगे.'
स्मिता सभरवाल ने आगे लिखा, 'AIS (IAS/IPS/IFoS) की एक फील्ड-जॉब वर्क है, लंबे समय तक काम करने वाले घंटे, लोगों की शिकायतों को सीधे सुनना है-जिसके लिए फिजिकल फिटनेस की जरूरत होती है. इस प्रीमियर सेवा को पहले स्थान पर इस कोटे की आवश्यकता क्यों है!'
IAS स्मिता सभरवाल की पोस्ट पर मिले-जुले कमेंट्स आए हैं लेकिन एक यूजर ने आईएएस की बात से इत्तिफाक न रखते हुए उन दिव्यांग अधिकारियों का उदाहरण रखा, जिन्होंने अपने क्षेत्र में देश के लिए अहम योगदान दिया है. एक्स पर UPSC Note अकाउंट से एक पोस्ट में लिखा, 'मुझे एक सीनियर आईएएस अधिकारी से ऐसी असंवेदनशील टिप्पणी की कभी उम्मीद नहीं थी.आपके दिए गए उदाहरण झूठी समानता हैं, जहां दो अलग-अलग संस्थाओं की तुलना इस तरह से की जाती है कि उनके अंतर को नजरअंदाज कर दिया जाता है. इससे गलत रिजल्ट और फैसले निकल सकते हैं. कई उदाहरण हैं ऐसे लोगों के जो किसी से कम नहीं हैं.'
यूजर ने आगे प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश आडवाणी का उदाहरण दिया जिन्होंने व्हीलचेयर पर होने के बावजूद रत में हेमाटोपोइएटिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन की शुरुआत की थी. उन्होंने उनके काम के लिए पद्मश्री और पद्म भूषण समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. इसके अलावा सुहास एलवाई, आईएएस ईरा सिंघल और पूर्व आईएएस ऑफिसर के. राजू के देश के लिए योगदान का भी उदाहरण दिया.
यूजर ने पोस्ट में लिखा, 'भारत की 121 करोड़ आबादी में से 2.68 करोड़ व्यक्ति 'दिव्यांग' हैं जोकि कुल आबादी का 2.21% है. आपकी टिप्पणी दिव्यांगजनों की क्षमताओं को कमतर आंक रही है.
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