केजरीवाल के खिलाफ NIA जिन आरोपों की जांच करने जा रही है, जनता की अदालत तो दो–दो बार फैसले दे चुकी
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ये तीसरा चुनाव है जब अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आतंकवादियों से रिश्ता होने का मुद्दा उठा है. टेरर फंडिंग के आरोपों के साये में दिल्ली और पंजाब चुनाव जीत चुके AAP नेता को NIA जांच फेस करनी पड़ सकती है - जनता की अदालत में जीत चुके केजरीवाल को अब कानून की अदालत में अपनी पैरवी करनी होगी.
CBI और प्रवर्तन निदेशालय के बाद अरविंद केजरीवाल को अब NIA की जांच का सामना करना पड़ सकता है. दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ टेरर फंडिंग के आरोप की राष्ट्रीय जांच एजेंसी से जांच कराये जाने की केंद्रीय गृह मंत्रालय से सिफारिश की है.
दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था, और फिलहाल वो तिहाड़ जेल में बंद हैं. शराब नीति केस में भी जांच के आदेश एलजी वीके सक्सेना ने ही दिये थे. केस की जांच सीबीआई ने शुरू की थी और फिर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की. दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह के बाद अरविंद केजरीवाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में संजय सिंह को जमानत मिल गई और वो जेल से बाहर आ गये.
उप राज्यपाल ने दो लोगों की शिकायत पर एनआईए जांच की सिफारिश की है. ध्यान देने वाली बात ये है कि शिकायत में अरविंद केजरीवाल के ही एक पुराने साथी की सोशल मीडिया पोस्ट को आधार बनाया गया है.
अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आतंकवादियों से रिश्ते होने के आरोप चुनावों के दौरान पहले भी दो बार लग चुके हैं. पहली बार दिल्ली और दूसरी बार पंजाब विधानसभा चुनाव के वक्त - लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान एक बार फिर वैसा ही आरोप लगा है.
ये पहली बार है जब चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कानूनी जांच-पड़ताल का रास्ता अख्तियार किया जा रहा है. अब तक ये आरोप चुनाव काल में ही उछाले गये हैं, और शिकस्त मिलने के बाद आरोप लगाने वाले खामोश हो जाते रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल के खिलाफ टेरर फंडिंग की हो सकती है जांच
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