कुर्सी संभालते ही शिक्षा मंत्रालय पर ट्रंप लगाएंगे ताला? कितनी बढ़ने वाली हैं अप्रवासियों की मुश्किलें
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने 1979 में शिक्षा मंत्रालय का गठन किया था. लेकिन अब ट्रंप का कहना है कि यह मंत्रऊालय पैसों का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहा है.
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद कई अहम बदलाव करने का एजेंडा तय किया है. उनके इस एजेंडे में सबसे महत्वपूर्ण है देश के शिक्षा मंत्रालय को खत्म करना. इसके अलावा भी ऐसे कई बड़े बदलाव हैं, जिन्हें उन्होंने शपथ लेने के शुरुआती दिनों में अमलीजामा पहनाने की योजना बनाई है.
लेकिन ट्रंप को अमेरिका के शिक्षा मंत्रालय से दिक्कत क्या है? कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप देश की मौजूदा शिक्षा प्रणाली से खुश नहीं है. इस वजह से वह शिक्षा मंत्रालय को भंग कर एजुकेशन की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ना चाहते हैं.हालांकि, ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि इस फैसले से K-12 स्कूलों की फंडिंग पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने 1979 में शिक्षा मंत्रालय का गठन किया था. लेकिन अब ट्रंप का कहना है कि यह मंत्रालय पैसों का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहा है और कई अन्य देशों के मुकाबले विभाग इस क्षेत्र में कई गुना ज्यादा खर्च कर रहा है. लेकिन फिर भी देश में शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं आ पाया है.
अमेरिका का मास डिपोर्टेशन प्रोग्राम कब होगा शुरू?
डोनाल्ड ट्रंप का पूरा राजनीतिक करिअर अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे प्रवासियों को रोकने से जुड़ा है. वह अमेरिका में इमिग्रेशन के सख्त खिलाफ है. 2016 में राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने मेक्सिको और अमेरिकी की सीमा पर बकायदा एक दीवार तैयार करवाई थी ताकि मेक्सिको से बड़ी संख्या में दाखिल होने वाले अमेरिकी नागरिकों को रोका जा सके.
ट्रंप ने पेंसिल्वेनिया में अपनी एक चुनावी रैली में कहा था कि वह राष्ट्रपति बनने के बाद इतिहास का सबसे बड़ा एंटी इमिग्रेंट प्रोग्राम शुरू करेंगे, जिसमें अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने वालों को रोका जाएगा. साथ ही जो इमिग्रैंट अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे हैं, उनके डिपोर्टेशन की मुहिम शुरू की जाएगी. इसके तहत लाखों अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट किया जाएगा.
दक्षिण अमेरिकी देश चिली वैसे तो ईसाई-बहुल देश रहा है, लेकिन अब वहां एक विवादास्पद धार्मिक मान्यता तेजी से फैल रही है. Temple of Satan नाम का धार्मिक संगठन चिली सरकार से आधिकारिक मान्यता चाह रहा है. टेंपल ऑफ सैटन के मानने वाले काली मोमबत्तियां जलाते और कई ऐसी रस्में करते हैं जो मौजूदा धर्मों से अलग हैं. कुछ सालों पहले अमेरिका में भी सैटानिक टेंपल पर विवाद हुआ था. आइए जानते हैं क्या है ये नया धर्म और इसपर क्यों है विवाद?
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