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कुतुब मीनार को रौशन करने का क्या है रवांडा कनेक्शन? जानें पूरी कहानी
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30 साल पहले 1994 में रवांडा में तुत्सी समुदाय का नरसंहार किया गया था. इस दौरान कमोबेश आठ लाख लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस नरसंहार की याद में यूनाइटेड नेशन ने 7 अप्रैल को इंटरनेशनल डे ऑफ रिफ्लेक्शन घोषित किया था. यही वजह है कि भारत ने भी कुतुब मीनार को रौशन कर रवांडा के साथ अपनी एकजुटता दिखाई.
रवांडा के साथ 1994 के नरसंहार की याद में भारत ने भी एकजुटता दिखाई है. दिल्ली के कुतुब मीनार को 7 अप्रैल की रात रवांडा के राष्ट्रीय ध्वज से रौशन किया गया. पूर्वी अफ्रीकी देश नरसंहार की याद में 30वां स्मरण दिवस मना रहा है, जिसमें कमोबेश आठ लाख लोगों की हत्या कर दी गई थी.
विदेश मंत्रालय के आर्थिक मामलों के सचिव दम्मू रवि ने रवांडा की राजधानी किगाली में नरसंहार के 30वें स्मरणोत्सव में भारत की तरफ से शिरकत की. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक एक्स पोस्ट में बताया, "रवांडा के लोगों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, भारत ने आज (7 अप्रैल को) कुतुब मीनार को रौशन किया, रवांडा में तुत्सी के खिलाफ 1994 के नरसंहार पर संयुक्त राष्ट्र इंटरनेशनल डे ऑफ रिफ्लेक्शन को चिन्हित किया गया."
क्या है इंटरनेशनल डे ऑफ रिफ्लेक्शन?
यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने 7 अप्रैल को रवांडा में नरसंहार की याद में इंटरनेशनल डे ऑफ रिफ्लेक्शन के रूप में चिन्हित करने के लिए एक रिजॉल्यूशन अपनाया था. इस रिजॉल्यूशन के तहत सभी सदस्य राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र से जुड़े संगठन और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन इस दिन पीड़ितों को याद करते हैं. रवांडा और बाकी देशों में भी सोशल ऑर्गेनाइजेशन 7 अप्रैल को नरसंहार के पीड़ितों की याद में स्पेशल प्रोग्राम आयोजित करते हैं.
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति की 'सबसे बड़ी विफलता'
रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे ने रविवार को राजधानी किगाली में कब्रगाह पर पुष्पांजलि अर्पित की और स्मरणोत्सव का नेतृत्व किया. इस कार्यक्रम में भारत समेत दक्षिण अफ्रीका और इथियोपिया के नेताओं के साथ-साथ पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी शामिल हुए. क्लिंटन के कार्यकाल में ही रवांडा में यह नरसंहार हुआ था, जिन्होंने इस घटना को अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी विफलता के रूप में स्वीकार किया था.
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