![किराए के छोटे कमरे में परिवार सहित रहने वाला वो लड़का जो बन गया बॉलीवुड की 'शान'](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202304/saana-sixteen_nine.jpg)
किराए के छोटे कमरे में परिवार सहित रहने वाला वो लड़का जो बन गया बॉलीवुड की 'शान'
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पिछले दिनों सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट और उस पर हुए विवाद पर प्लेबैक सिंगर शान ने बहुत ही सहजता से हैंडल किया था. शान आज जिस मुकाम पर हैं, यहां तक पहुंचने के लिए उनकी राहें आसान नहीं थीं. अपनी जर्नी पर उन्होंने हमसे बातचीत की है.
बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी आवाज और खूबसूरत स्माइल के लिए पहचाने जाने वाले सिंगर शान ने म्यूजिक का लंबा सफर तय किया है. हालांकि एक समय अपनी सक्सेस की टॉप पर रहे शान ने ऐसा वक्त भी देखा जब उन्हें काम मिलना लगभग बंद हो गया था. इन सब उतार-चढ़ाव के बावजूद शान ने अपनी पॉजिटिविटी में कोई कमी नहीं आने दी है. अपनी इस जर्नी पर वो हमसे एक्सक्लूसिव बातचीत करते हैं.
बता दें, शान खुद एक म्यूजिकल परिवार से आते हैं. उनके पिता मानस मुखर्जी भी म्यूजिक कंपोजर रह चुके हैं. शान को सिंगिग अपने परिवार से विरासत में मिली है. एक म्यूजिकल परिवार से ताल्लुक रखने की वजह से उन्हें करियर में कितना फायदा मिला या फिर कितनी दिक्कतें रहीं. इस पर शान बताते हैं, मुझे हमेशा इस बात का मलाल रहेगा कि मेरे पिताजी को उतना नहीं मिला जितना वो डिजर्व करते थे. मैंने उन्हें रोज रियाज करते देखा है. संगीत को लेकर उनमें जुनूनियत देखी है. उन्हें काम भले ज्यादा न मिला हो लेकिन नाम और इज्जत बहुत कमाई थी. मेरे पिताजी का जो सम्मान था, वो लाखों-करोड़ों की संपत्ति से बढ़कर था. मैं जहां भी गया, लोग कहते अरे मानस दा के बेटे हो, आ जाओ. वो बहुत ही कमाल के म्यूजिशियन तो थे ही लेकिन इंसान भी बहुत अच्छे थे. वो मुझसे पापा के किस्से सुनाया करते थे. उनकी वजह से कंपोजर, सिंगर्स का प्यार मिला, तो मेरे लिए इंडस्ट्री में पहला मौका आसान रहा था. पिताजी बहुत कम उम्र में चल बसे थे. सारी जिम्मेदारियां मुझ पर आ गई थीं. हालांकि मैंने कभी इनको स्ट्रगल नहीं समझा था. मेहनत को आप स्ट्रगल मानकर चलोगे, तो फिर कभी रंग नहीं लाएगी. इस मुफलिसी का भी अपना मजा होता है. लोग कहते हैं न बहुत से बलिदान दिए, लेकिन मेरे पास खोने को कुछ था ही नहीं, तो कैसा बलिदान. पापा के जाने के बाद मैं अपनी मां और बहन के साथ भाड़े के छोटे से कमरे रहा. उस वक्त संगीत मेरे साथ हमेशा रहा. हम तीन लोगों की छोटी सी फैमिली थी. पापा के रहते भी दिक्कतें थीं लेकिन उनके गुजरने के बाद और बढ़ गई थीं.
सक्सेस और हुनर का कोई खास कनेक्शन है नहीं पिताजी के स्ट्रगल ने मुझे स्ट्रॉन्ग बनाया है. मैंने घर पर देखा है कि इतने गुणी और हर रोज रियाज करने वाले इंसान हैं. उन्हें जो सक्सेस मिलना चाहिए था, वो मिला नहीं. वहीं मैंने न ही इतनी कुछ खास ट्रेनिंग ली, न ही इतना सीरियसली अपने म्यूजिक को लिया था. इसके बावजूद मुझे आसानी से सक्सेस मिल गया था. मैंने यही समझा कि सक्सेस और हुनर का कोई खास कनेक्शन है नहीं. आप अगर अपनी ऊंचाईयों पर जाएं, तो आपके अंदर घमंड आ जाए, तो ये भी बहुत ही बेवकूफी है. कल अगर आपका वक्त खराब हो जाएगा, तो क्या करोगे. आप सक्सेस को एक्सेप्ट करो, इंजॉय करो लेकिन दिमाग पर चढ़ने मत दो.
क्या खोया क्या पाया मैं अक्सर तन्हा बैठकर इंट्रोस्पेक्ट करता रहता हूं. सोचता रहता हूं कि इस जर्नी का आखिर सार क्या रहा. मैंने क्या पाया और क्या खोया. तब मां की कही एक बात जेहन में हमेशा घूमने लगती है कि बेटा तुम्हें जितना मिला है, वो भी बहुत है. फिर लगता है कि करियर के इस रास्ते में मैंने पाया बहुत ज्यादा है और खोया काफी कम है. इसकी एक वजह यह भी है कि मैंने जिंदगी से कुछ खास उम्मीदें नहीं रखी थी. बहुत बड़े सपने नहीं देखता था. पता नहीं लेकिन खुद पर कॉन्फिडेंस तो जरूर था कि जिंदगी सफर तो जरूर होगी. मैंने कुछ प्लानिंग कभी नहीं की थी. बस फ्लो में जो भी मिलता रहा, मैं उसे लेकर आगे बढ़ता गया.