कांग्रेस के लिए जैसे अमेठी-रायबरेली, वैसे ही BJP के लिए गले की हड्डी बन गई कैसरगंज सीट
AajTak
कैसरगंज लोकसभा सीट पर 20 मई को पांचवें चरण में वोटिंग होनी है. मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह बेसब्री से दिल्ली से संदेश आने का इंतजार कर रहे है. चुनाव प्रचार तो वो पहले ही शुरू कर चुके हैं, क्योंकि पता है कि अगर बीजेपी ने झटका दिया तो अखिलेश यादव तो संभाल लेंगे.
उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट का हाल भी अमेठी और रायबरेली जैसा ही है. जैसे कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली की मुश्किल है, बीजेपी के लिए रायबरेली और कैसरगंज चुनौती बने हुए हैं. अमेठी का मामला बीजेपी के लिए आसान था. अब स्मृति ईरानी का टिकट तो कट नहीं सकता था, और न ही उनका चुनाव क्षेत्र बदला जा सकता था.
रायबरेली और कैसरगंज का हाल काफी मिलता जुलता है, लेकिन बीजेपी के लिहाज से देखें तो एक बड़ा फर्क भी है. अगर दोनों सीटों को बीजेपी और कांग्रेस के नजरिये से देखें तो भी कई चीजें कॉमन होने के साथ साथ फर्क भी नजर आता है - कैसरगंज में जहां बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी के टिकट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, अमेठी और रायबरेली में गांधी परिवार से कोई चुनाव लड़ने तक को तैयार नजर नहीं आ रहा है.
कैसरगंज से सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों के बाद बीजेपी के लिए हाल सांप-छछूंदर जैसा हो गया है. अभी तक कैसरगंज लोकसभा सीट के लिए किसी भी राजनीतिक दल ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है - ये बात अलग है कि बाहुबली नेता बृजभूषण शरण सिंह अपने से ही चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं.
रायबरेली में तो बीजेपी, कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा का इंतजार कर रही है, जबकि कैसरगंज के लिए समाजवादी पार्टी बीजेपी की अगली लिस्ट का इंतजार कर रही है. कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन में अखिलेश यादव ने कैसरगंज सीट अपने हिस्से में रखी है - बृजभूषण शरण सिंह और अखिलेश यादव के बीच भी रिश्ता ठीक ठाक ही माना जाता है. कैसरगंज में एक चर्चा ये भी है कि अगर बीजेपी ने बृजभूषण शरण को टिकट दिया, तो समाजवादी पार्टी महिला पहलवानों में से ही किसी को चुनाव लड़ा सकती है.
अगर समाजवादी पार्टी किसी महिला पहलवान को उम्मीदवार बनाती है, तो बीजेपी के लिए भारी फजीहत हो जाएगी. कुछ कुछ वैसी ही जैसी अभी कर्नाटक के जेडीएस उम्मीदवार प्रज्ज्वल रेवन्ना को लेकर बनी हुई है.
यूपी में बीजेपी 75 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 5 सीटें बीजेपी ने सहयोगी दलों को दे दिया है. कैसरगंज और रायबरेली को छोड़ कर बीजेपी ने 73 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. और सिर्फ बीजेपी ही नहीं, बाकी पार्टियों ने भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.