
कभी दी पावर को धार, कभी कुतरे पंख, 'मिर्जापुर 3' का असली बारूद हैं कहानी में दिखीं ये मांएं
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'मिर्जापुर 3' में मांओं के किरदार बहुत दमदार बनकर उभरे हैं. वो भले अपने बेटों-पतियों की तरह बाहुबली स्पेस में न हों, लेकिन जहां भी हैं, उनका अपना एक पक्का स्टैंड है. आइए बताते हैं 'मिर्जापुर 3' में उन 5 मांओं के बारे में जो इस बार बहुत दमदार नजर आईं.
जनता के फेवरेट शोज में से एक 'मिर्जापुर' का तीसरा सीजन अमेजन प्राइम पर स्ट्रीम हो रहा है. पिछले दो सीजन के मुकाबले, तीसरे सीजन को लेकर जनता का रिएक्शन मिला-जुला है. लेकिन इस बार 'मिर्जापुर' की कहानी में एक दिलचस्प चीज हुई है.
वैसे तो ये शो बाहुबलियों की पावर और वायलेंस के भौकाल को दिखाने पर ज्यादा जोर देता आया है. ऐसे में पुरुष प्रधान कहानी में हर किरदार के पिता का किरदार उससे भी ज्यादा दमदार रहा है. कालीन भैया के पिताजी, व्हीलचेयर के भरोसे होने के बावजूद काफी तिकड़मबाज खिलाड़ी थे. तो गुड्डू पंडित अपनी गैंगस्टरबाजी को लेकर कभी उस लेवल के अडिग नहीं हो सकते, जितना अपने उसूलों को लेकर उनके पिताजी हैं.
यहां तक कि बिहार के त्यागी ब्रदर्स को भी अभी अपने पिताजी, दद्दा त्यागी के लेवल का भौकाल बनाने में काफी वक्त लगेगा. मगर 'मिर्जापुर 3' में मांओं के किरदार बहुत दमदार बनकर उभरे हैं. वो भले अपने बेटों-पतियों की तरह बाहुबली स्पेस में न हों, लेकिन जहां भी हैं, उनका अपना एक पक्का स्टैंड है. आइए बताते हैं 'मिर्जापुर 3' में उन 5 मांओं के बारे में जो इस बार बहुत दमदार नजर आईं...
वसुधा पंडित गुड्डू पंडित की मां होना शायद 'मिर्जापुर' के माहौल में सबसे मुश्किल काम है. जब आपका बेटा गैंगस्टर हो और पूरा पूर्वांचल उसके खून का प्यासा हो, तो एक मां को कैसे सांस आएगी. लेकिन वसुधा पंडित (शीबा चड्ढा) न सिर्फ बाहर के खतरों से बेखौफ हैं, बल्कि खुद अपने बेटे के आगे भी वो अपने स्टैंड पर अड़ी रहती हैं, जिसे तीसरे सीजन ने लिटरली 'भस्मासुर' कह दिया है.
गुड्डू 'मिर्जापुर 3' में अपनी मां को अपने साथ ले जाना चाहता है क्योंकि उसका मानना है कि पिता के घर पर रहने में अब उन्हें खतरा है. तो वो साथ जाने से साफ इनकार कर देती हैं. शो में कई बार ऐसा हुआ है जब वसुधा पंडित, पावर के लिए सनक की हद तक जा चुके अपने बेटे के आगे डटी रही हैं. तीसरे सीजन में तो वो अपने बेटे ही नहीं, अपने पति रमाकांत पंडित से भी अपने हक के लिए लड़ गईं.
गीता त्यागी एक मां के जुड़वा बेटों में से एक मर चुका है और जो जिंदा बचा है, वो मरे हुए की जगा लेने चला है. उसे कोई नहीं पहचान पा रहा सिवाय उसके खुद के. लेकिन वो सच्चाई किसी को नहीं बताती, क्योंकि उसे लगता है कि इससे घर बिखर जाएगा. और बाहुबलियों की कहानी में सिर्फ घर ही नहीं बिखरता, इसके साथ पावर भी बिखर जाती है. इसलिए भरत-शत्रुघ्न त्यागी की मां, गीता त्यागी (अलका अमीन) घर में बार-बार कोशिश करती रहती हैं कि सब लोग बैठकर बात करें और आपसी मसले सुलझाकर बाहर ताकतवर बनने पर काम करें.

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