'कंगुवा' रिव्यू: जमकर लड़े-चीखे-चिल्लाए सूर्या फिर भी नहीं बचा पाए फिल्म, चूका 'एपिक' बनने का शानदार मौका
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सूर्या के सामने विलेन के रोल में बॉबी देओल का आना भी ऑडियंस, खासकर हिंदी दर्शकों को लुभाने वाला फैक्टर था. लेकिन क्या 'कंगुवा' अपने उस वादे पर खरी उतर पाई जो प्रमोशंस में सूर्या और टीम करते नजर आ रहे थे? जवाब है तो सीधा और सपाट, लेकिन एक फिल्म और रिव्यू में कुछ तो अंतर होना चाहिए ना!
साउथ से निकलकर पैन इंडिया नाम बनाने के एम्बिशन में कन्नड़-तेलुगू-मलयालम इंडस्ट्री के नए से नए स्टार्स भी आजकल जमकर कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में सूर्या जैसे बेहतरीन तमिल स्टार के पास हर वो वजह है कि वो पैन इंडिया लेवल का अटेम्प्ट करें. उनकी लेटेस्ट फिल्म 'कंगुवा' के टीजर, ट्रेलर और हर प्रमोशनल मैटेरियल में वो सारी चीजें भी नजर आ रही थीं जिनसे एक शानदार थिएट्रिकल एक्सपीरियंस डिलीवर करने की उम्मीद की जा सकती है.
सूर्या के सामने विलेन के रोल में बॉबी देओल का आना भी ऑडियंस, खासकर हिंदी दर्शकों को लुभाने वाला फैक्टर था. लेकिन क्या 'कंगुवा' अपने उस वादे पर खरी उतर पाई जो प्रमोशंस में सूर्या और टीम करते नजर आ रहे थे? जवाब है तो सीधा और सपाट, लेकिन एक फिल्म और रिव्यू में कुछ तो अंतर होना चाहिए ना!
क्या है फिल्म का मसला? 'कंगुवा' की शुरुआत एक रिसर्च लैब फैसिलिटी जैसी जगह से होती है जहां से एक बच्चा फरार हो गया है. लैब के सिपाही उसे खोज रहे हैं. ये बच्चा जा टकराता है फ्रांसिस से जो अल्ट्रा कूल नजर आने की हाड़तोड़ मेहनत करता एक बाउंटी-हंटर है जो अच्छी खासी फीस लेकर पुलिस के लिए, अपराधियों का शिकार करता है. बच्चा अजीब है, बोलता-बतियाता नहीं है, लेकिन बीच-बीच में फिल्म दिखाती रहती है कि इसके पास कुछ सुपरपावर टाइप सीक्रेट शक्ति है.
फ्रांसिस को इस बच्चे से मिलकर एक अनोखा सा कनेक्शन फील होता है. अभी तक कहानी 2024 में चल रही है, लेकिन कनेक्शन दिखाने के लिए चली जाती है साल 1070 में. यहां आपको मिलती है पांच द्वीपों की कहानी. इन्हीं में से एक द्वीप पेरुमाची का योद्धा है कंगुवा. रोमन साम्राज्य की एक नौसेना टुकड़ी इन द्वीपों को कब्जा लेना चाहती है. और इसके लिए कंगुवा से निपटना जरूरी है. पांचों में से एक द्वीप, अरथी पर राज करता है उधिरन (बॉबी देओल), जिसकी पेरुमाची से नहीं बनती.
रोमन प्लान ये है कि कंगुवा को ठिकाने लगाने के लिए, उधिरन का यूज किया जाए. इसी खेल के बीच में फंसा है एक बच्चा. क्यों फंसा है, कैसे फंसा है, इसका जवाब फिल्म में देखना ही बेहतर होगा (अगर आप देखने वाले हैं तो). इस बच्चे से कंगुवा एक वादा करता है और यही वादा 2024 में उनके फिर से मिलने की वजह है.
कैसी है फिल्म? किसी फिल्म से निकलने के बाद अगर आपको दिल्ली के ट्रैफिक के बीचों बीच फंसे होना शांतिपूर्ण लगने लगे, तो इसका मतलब आप समझ सकते हैं. थिएटर्स से ये रिक्वेस्ट है कि 'कंगुवा' का शो चलते वक्त हॉल के दरवाजे बंद रखें, वरना अंदर से आ रही आवाजें सुनकर बाहर मौजूद लोगों में भगदड़ मच सकती है. फिल्म में हर आदमी सुरों के उस स्केल पर बातचीत का रहा है जो हारमोनियम में भी नहीं आता. और फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर इस शोर को एक अकल्पनीय स्केल की अभूतपूर्व उंचाइयों पर ले जाता है.
पुलिस ने बताया कि गीतकार सोहेल पाशा ने मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को फोन किया था क्योंकि वह चाहता था उसके गाने 'मैं सिकंदर हूं' को पब्लिसिटी मिले, जिसमें लॉरेंस बिश्नोई का जिक्र है. मंगलवार को कर्नाटक के रायचूर से उसे गिरफ्तार किया गया. 7 नवंबर को मुंबई ट्रैफिक पुलिस की व्हाट्सएप हेल्पलाइन पर एक मैसेज आया था.