'एजेंडाबाज' जॉर्ज सोरोस... मोदी, ट्रंप, पुतिन से लेकर जिनपिंग तक से नफरत, कुली से बने धनकुबेर!
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George Soros Profile: जॉर्ज सोरोस पर आरोप है कि दुनिया कई देशों में कारोबार और समाजसेवा की आड़ में पैसे के जोर पर वहां की राजनीति में दखल देते हैं. यूरोप और अरब के कई देशों में सोरोस की संस्थाओं पर मोटा जुर्माना में लगाया गया है और बैन भी लगा है.
जॉर्ज सोरोस (George Soros) एक बार फिर चर्चा में हैं, वैसे विवादों में रहना जॉर्ज सोरोस के लिए कोई नई बात नहीं है. खासकर भारत को लेकर जॉर्ज सोरोस का बयान किसी राजनेता के जैसा प्रतीत होता है. जॉर्ज सोरोस को लेकर बीजेपी (BJP) हमलवार है और कांग्रेस (Congress) पर सोरोस से संबंध रखने का आरोप लगाया है. पार्टी ने इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की जिससे राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी उस संगठन से जुड़ी हैं, जो सोरोस से फंड लेती हैं. यही नहीं, पार्टी का आरोप है कि मोदी सरकार को कमजोर करने के लिए कांग्रेस ने सोरोस के साथ हाथ मिलाया है.
जॉर्ज सोरोस को लेकर राजनीति तेज
जॉर्ज सोरोस अमेरिका के बड़े कारोबारियों में से एक हैं. अमेरिका में उनका 30 से अधिक मीडिया आउटलेट्स में डायरेक्ट निवेश है, इसमें न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉशिंगटन पोस्ट, एपी, सीएनएन और एबीसी शामिल हैं. शेयर बाजार (Share Market) में भी जॉर्ज सोरोस का बड़ा नाम है. वे सटोरिए, निवेशक और कारोबारी हैं. लेकिन खुद को दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता बताने पर उनका ज्यादा जोर रहता है. उन पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने के लिए एजेंडा चलाने का आरोप लगता रहा है. इतना ही नहीं, कई देशों में भारी-भरकम फंडिंग देकर चुनाव प्रभावित करने का भी आरोप है. यूरोप और अरब के कई देशों में सोरोस की संस्थाओं पर मोटा जुर्माना में लगाया गया है और बैन भी लगा है. 94 साल के सोरोस पर ये आरोप आम है कि वे दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने के लिए अपना एजेंडा चलाते हैं.
दरअसल, जॉर्ज सोरोस पर आरोप है कि दुनिया कई देशों में कारोबार और समाजसेवा की आड़ में पैसों के बल पर वहां की राजनीति में दखल देते हैं. अगर भारत में दखल की बात करें तो पिछले साल हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद जॉर्ज सोरोस के सपोर्ट वाली नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने अडानी ग्रुप को लेकर कई खुलासे किए थे. वैसे अधिकतर आरोप वही थे, जो हिंडनबर्ग ने लगाए थे. रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत तरीके से शेयरों की कीमतें बढ़ाई गईं. जिसका अडानी ग्रुप ने खंडन किया था. गौतम अडानी के अलावा OCCRP ने आरोप लगाया था कि वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने देश के पर्यावरण कानूनों को कमजोर करने के लिए गुपचुप तरीके से लॉबिंग की थी.
OCCRP के पीछे जॉर्ज सोरोस का हाथ? अब ये जानना जरूरी है, ये OCCRP क्या है? इसका क्या काम है और इसका कर्ता-धर्ता कौन है? यह कंपनी पत्रकारों के एक ग्रुप द्वारा संचालित की जाती है. इसका मुख्यालय अमेरिका में है और इस कंपनी की शुरुआत साल 2006 में हुई थी. ये कंपनी दुनियाभर में आर्थिक अपराध खुलासों के लिए भी जानी जाती है. वैसे तो इसकी वेबसाइट पर जिक्र किया गया है, ये पब्लिक फंडेड फर्म है. लेकिन पब्लिक के साथ-साथ अरबपति जॉर्ज सोरेस ( George Soros) की कंपनी भी OCCRP को आर्थिक मदद करती है. यानी यह जॉर्ज सोरेस फंडेड फर्म है.
जॉर्ज सोरोस के बारे अधिकतर लोग जानते हैं, जो नहीं जानते हैं वो अब जान लें. हंगरी-अमेरिकी मूल के मशहूर अरबपति जॉर्ज सोरोस अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. खासतौर पर उनकी नजर भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहे राजनीतिक बदलावों पर रहती है. सोरोस कई मंचों से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लगातार सत्ता में बने रहने से तानाशाही की ओर बढ़ने वाला नेता कहते रहे हैं.
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