उपराष्ट्रपति बोले- 'NEP गेमचेंजर', लागू नहीं करने वाले राज्यों से की ये अपील
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, "शिक्षा एक ऐसी चीज है जिसे कोई चोर आपसे नहीं छीन सकता. कोई सरकार इसे आपसे नहीं छीन सकती. न तो रिश्तेदार और न ही दोस्त इसे आपसे छीन सकते हैं. इसमें कोई कमी नहीं आ सकती. यह तब तक बढ़ती रहेगी और बढ़ती रहेगी जब तक आप इसे साझा करते रहेंगे."
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को एक 'गेम चेंजर' बताते हुए उन राज्यों से अपील की है जो अभी तक इसे नहीं अपना पाए हैं. उन्होंने कहा कि एनईपी सभी भाषाओं को महत्व देती है और देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा का पूरा उपयोग करने का मौका देती है. रविवार को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में धनखड़ ने कहा, "शिक्षा एक ऐसा खजाना है जिसे कोई छीन नहीं सकता." उन्होंने सभी से कम से कम एक व्यक्ति को साक्षर बनाने का संकल्प लेने का आह्वान किया.
दरअसल, केंद्र सरकार 2020 में नई शिक्षा नीति लेकर आई थी, जिसके तहत नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) के 800 पन्नों के मसौदे में कुछ प्रमुख बदलावों का प्रस्ताव स्कूली शिक्षा के चार चरण हैं. इनमें 5 (फाउंडेशनल) +3 (प्रिपरेट्री) +3 (मिडिल)+ 4 (सेकेंडरी) स्टेज शामिल है. जारी किए गए मसौदे में भारत में कक्षा 1 से 12वीं तक बच्चे कैसे पढ़ेंगे, क्या सीखेंगे, कैसे सीखेंगे, छात्रों की प्रतिभा का मूल्यांकन कैसे होगा आदि कई बड़े बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं.
NEP को लेकर उपराष्ट्रपति की राज्यों से अपील
उपराष्ट्रपति ने उन राज्यों से फिर से सोचने की अपील की है, जिन राज्यों ने अभी तक शिक्षा नीति (एनईपी) को नहीं अपनाया है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह नीति देश के लिए गेम चेंजर है. उन्होंने कहा, "यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे युवाओं को अपनी प्रतिभा और ऊर्जा का पूरा दोहन करने का अधिकार देती है, जिसमें सभी भाषाओं को उचित महत्व दिया गया है."
साक्षरता को बढ़ावा देने का आह्वान
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, "शिक्षा एक ऐसी चीज है जिसे कोई चोर आपसे नहीं छीन सकता. कोई सरकार इसे आपसे नहीं छीन सकती. न तो रिश्तेदार और न ही दोस्त इसे आपसे छीन सकते हैं. इसमें कोई कमी नहीं आ सकती. यह तब तक बढ़ती रहेगी और बढ़ती रहेगी जब तक आप इसे साझा करते रहेंगे." उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि अगर साक्षरता को जुनून के साथ आगे बढ़ाया जाए, तो भारत फिर से नालंदा और तक्षशिला जैसा शिक्षा का केंद्र बन सकता है.
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