इस गलती की वजह से अनिल-अक्षय से पीछे रह गए सुनील शेट्टी, बोले- भूल गया था मजदूर हूं
AajTak
करियर के बीच में अचानक गायब होने पर सुनील शेट्टी कहते हैं, पापा जब बीमार थे, तो उस वक्त मैंने अपनी जिंदगी के चार साल उनके साथ रहकर गुजारे हैं. उस दौरान मैंने कोई काम ही नहीं किया. इस बीच मैं बैठकर अपने पास्ट के बारे में सोचता था कि आखिर मैं कहां गलत रहा.
सुनील शेट्टी को इंडस्ट्री में आज तीन दशक से ज्यादा हो गए हैं. सुनील मानते हैं कि उन्होंने अपने इस करियर में बहुत सी गलतियां की हैं. करियर की उतार-चढ़ाव, फैमिली, समकालीन एक्टर्स की सक्सेस आदि पर सुनील हमसे दिल खोलकर बातचीत करते हैं.
यह साल बॉलीवुड बिजनेस के हिसाब से ड्राई रहा है. पब्लिक भी दूर जा रही है. आपकी राय? 'मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर हमारी पब्लिक हमसे दूर क्यों जा रही है. मैं जब सोशल मीडिया पर ध्यान देने लगा, तो पता चला कि हम खुद इसके कारण हैं. हम प्रोडक्ट के कंज्यूमर को ही नहीं समझेंगे, तो प्रॉडक्ट को कैसे समझेंगे. हम बस भीड़ में दौड़े जा रहे हैं. अब आप ही बताएं अगर फाइनेंशियल एड्स, सीएफओ, डेटा एनालिस्ट जैसे लोग शोबीज का बिजनेस चलाएंगे, तो कहां से कनेक्शन पैदा कर पाएंगे.'
'ये लोग थोड़े राइटिंग और डायरेक्शन को समझ सकते हैं. क्या वो बता सकते हैं कि क्या चलेगा, इसकी समझ तो राइटर, डायरेक्टर और एक्टर को होनी चाहिए न. जाहिर सी बात है मशीनरी चीजें आ गई हैं, जो दिखता बहुत बड़ा है, लेकिन अंदर से खोखला है. क्योंकि उन्हें सिर्फ बिजनेस से मतलब है, वो इंडस्ट्री को चलाने के लिए नहीं काम कर रहे हैं. लोग हजार रूपये खर्च कर फिल्म देखने जाएंगे, तो प्रोडक्ट में दम होना चाहिए. इसी बीच देखें, दृश्यम चल ही रही है न, कंटारा भी बिजनेस कर रहा है. ये तो नहीं हुआ कि अजय देवगन जगह-जगह जाकर फिल्म को प्रमोट करने के लिए भांगड़ा कर रहा हो. विजिबिलिटी से कुछ नहीं होता है, इंपैक्ट से होता है. ये मेरी कर्म भूमि है और मैं नहीं चाहूंगा कि इसके साथ कुछ भी बुरा हो.'
'कंतारा' देखी? कैसी लगी आपको? 'अरे मत पूछो, लास्ट के जो पंद्रह मिनट थे, उसे देखकर मैं तो हैरान रह गया था. समझ नहीं आ रहा था कि क्या से सच में पोसेस्ड है या एक्टिंग कर रहा है. फिल्म देखने के बाद सोचने लगा कि मैं तीस साल से जो कर रहा था, वो एक्टिंग है या इसे एक्टिंग कहते हैं. मुझे कोई शर्म नहीं है इस बात को कबूलने में. मुझे लगता है कि हम ऐसे ही चीजों से सीखते हुए आगे बढ़ते हैं.'
आप मानते हैं कि हीरो की परिभाषा बदली है? 'हां, सौ प्रतिशत बदली है, क्योंकि नैरेटिव बदला है. आज के हीरो वर्चुअल दुनिया में रह रहे हैं, उनका रिएलिटी से कोई वास्ता नहीं है. आप मुझसे आकर पर्सनली मेरे काम के बारे में बात करो, तो मुझे ज्यादा खुशी होगी न कि आपने मेरी किसी पोस्ट को लाइक या शेयर किया है. वो बात संतुष्ट करेगी. आज तो इंस्टाग्राम डिक्टेट करता है कि एयरपोर्ट पर क्या कपड़े पहनने चाहिए. आप फैशन शो के लिए जा रहे हो या ट्रैवल कर रहे हो. भई मैं तो चाहूंगा कि मैं कंफर्टेबल ट्रैक पहनकर ट्रैवल करूं ना कि कोई अतरंगी चीजें पहनकर असहज हो जाऊं. मैं ऐसी दुनिया से आता हूं कि इन चीजों का प्रेशर नहीं लेता.'
'मैं एक जींस आठ बार पहन लूंगा और मुझे उसमें कोई शर्म नहीं है. मेरे लुंगी और शर्ट वाले लुक ने वो हलचल मचा दी है, जो शायद ही मेरे साथ कभी ऐसा हुआ हो. बहुत ही डिग्लैमराइज्ड लुक था. मैं चेहरे पर रिंकल को छुपाता नहीं हूं. मैं कंटेंट हूं और किसी से जलता नहीं हूं. अगर मेरे साथी का कोई अच्छा कर रहा है, तो मैं फॉरन जाकर उसकी तारीफ करता हूं. अजय देवगन और अमिताभ जी ही ऐसे एक्टर हैं, जिन्होंने बुरे वक्त पर विजयी पाया है. उन्हें मार्केट में कितने पैसे देने थे. काम कर पाई-पाई दुनिया का चुकाया और पूरी ताकत के साथ. बाकि लोग तो भाग चुके हैं, लेकिन इन दोनों ने फैल्यॉर में अपने आपको खड़ा किया है. मैं इन दोनों को अपना रियल हीरो मानता हूं.'
साहित्य के महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2024' के दूसरे दिन मंच पर मौजूदगी रही मशहूर गायक जुस्त की. जहां उन्होंने 'मेरे घर आया एक चोर' सत्र में 'कल रात आया मेरे घर एक चोर...' जैसे हिट गानों की प्रस्तुति दी और की ढेर सारी बातें. बता दें कि ये 'साहित्य आजतक' का सातवां संस्करण है. और दिल्ली के ध्यान चंद स्टेडियम में आयोजित है.