![इजरायल-हमास युद्ध में हिज्बुल्लाह 'दीवाना'! अब पड़ रहा है मार खाना...](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202409/66f3c571b2912-israel-hamas-hezbollah-conflict-251022607-16x9.jpg)
इजरायल-हमास युद्ध में हिज्बुल्लाह 'दीवाना'! अब पड़ रहा है मार खाना...
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Israel Hezbollah conflict: 1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति ने शिया बहुल लेबनान में उथल-पुथल मचा दी. इस क्रांति से कट्टरपंथी युवाओं का एक वर्ग बहुत प्रभावित हुआ. इस समूह ने अमेरिका और इजरायल को दुश्मन समझना शुरू कर दिया. इस ग्रुप को ईरान ने आर्थिक और सैन्य रूप से समर्थन दिया. ईरान और हिज्बुल्लाह दोनों ही अमेरिकी और इजरायली दादागीरी के खिलाफ लड़ रहे थे.
ये जंग तो इजरायल-हमास के बीच तो शुरू हुई थी. लेकिन अब जब जंग के एक साल पूरे होने को हैं तो सबसे घातक प्रहार लेबनान का लड़ाका संगठन हिज्बुल्लाह झेल रहा है. इजरायल ने पिछले 10 दिनों में युद्ध का तापमान बढ़ा दिया है और इजरायल के तेवर हिज्बुल्लाह लड़ाकों पर भारी पड़ रहा है. हिज्बुल्लाह के साथ संघर्ष की गंभीरता की ओर इशारा करते हुए इजरायल के रक्षा मंत्री यॉव गैलेंट ने पिछले सप्ताह कहा था कि अब ग्रेविटी का केंद्र उत्तर की ओर बढ़ रहा है और इजरायल इसी तरफ अपने फोर्सेज, रिसोर्सेज और ऊर्जा को ले जा रहा है. लेबनान में हिज्बुल्लाह के लड़ाकों के खिलाफ शुरू किए गए इजरायल के ऑपरेशन नॉदर्न एरोज में अब तक 585 लेबनानियों की मौत हो चुकी है.
सवाल है कि ये लड़ाई तो लड़ाई इजरायल-हमास की थी. फिर इसमें हिज्बुल्लाह ने कैसे एंट्री ले ली? दरअसल इजरायल और हिज्बुल्लाह पुराने दुश्मन रहे हैं.
इतिहास में छिपे दुश्मनी के बीज
1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति ने शिया बहुल लेबनान में उथल-पुथल मचा दी. इस क्रांति से यहां का युवा वर्ग प्रभावित हुआ. कट्टरपंथियों के एक समूह ने इस क्रांति के बाद अमेरिका और इजरायल को दुश्मन समझना शुरू कर दिया. इस समूह को ईरान ने आर्थिक और सैन्य रूप से समर्थन दिया; दोनों एक समान विचारधारा और पश्चिम एशिया में शक्ति हासिल करने के लक्ष्य से जुड़े हुए थे.
ईरान और हिज्बुल्लाह दोनों के लिए ही यहूदी इजरायल साझा शत्रु था. इसके अलावा ईरान और हिज्बुल्लाह दोनों ही इजरायल के मददगार अमेरिका से दुश्मनी करते थे.
पश्चिम एशिया में अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे इजरायल की सेना ने 1982 में लेबनान पर आक्रमण किया था. इजरायल का आरोप था कि लेबनान में फिलीस्तीन लिब्रेशन ऑर्गनाइजेशन के कार्यक्रम सक्रिय थे. इसी इजरायली आक्रमण का विरोध करने के लिए हिज्बुल्लाह का अस्तित्व में आया.
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