आम आदमी की आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपया... जानिए आपकी हेल्थ पर कितना खर्च कर रही है सरकार?
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हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 'नेशनल हेल्थ अकाउंट' की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 2021-22 में स्वास्थ्य पर हुए खर्च की जानकारी दी है. इसमें बताया गया है कि 2021-22 में केंद्र और राज्यों की सरकारों ने स्वास्थ्य पर कितना खर्च किया और लोगों ने अपनी जेब से कितना लगाया.
कोविड ने सिखा दिया कि स्वास्थ्य पर खर्च कितना जरूरी है. दुनिया के बड़े देश स्वास्थ्य पर अपनी जीडीपी का 6 फीसदी से भी ज्यादा खर्च करते हैं. इसके मुकाबले भारत में खर्च काफी कम है. लेकिन अच्छी बात ये है कि अब सरकार स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ा रही है.
हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 'नेशनल हेल्थ अकाउंट' की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 2021-22 में स्वास्थ्य पर हुए खर्च की जानकारी दी है. इसमें बताया गया है कि 2021-22 में केंद्र और राज्यों की सरकारों ने स्वास्थ्य पर कितना खर्च किया और लोगों ने अपनी जेब से कितना लगाया.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2021-22 में देशभर में स्वास्थ्य पर 9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च किया गया. ये कुल जीडीपी का 3.83 फीसदी रहा. हालांकि, इसमें सभी तरह का खर्च शामिल है.
लोगों की हेल्थ पर सरकारी खर्च कितना?
ये रिपोर्ट बताती है कि 2021-22 में स्वास्थ्य पर सरकारों ने 4.34 लाख करोड़ रुपये का खर्च किया. इस तरह से हर व्यक्ति की हेल्थ पर सरकारी खर्च 3,169 रुपये बैठा.
अगर एक व्यक्ति के स्वास्थ्य पर हुए खर्च के एक दिन का औसत निकाला जाए तो ये 9 रुपये से भी कम बैठता है.
दिल्ली में प्रदूषण पर कंट्रोल के दावे की खुली पोल, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट देने में फर्जीवाड़े का खुलासा
दिल्ली सरकार ने पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए ही ट्रैफिक चालान 500 रुपए से बढ़ाकर 10 हज़ार किया था, ताकि लोग तय समय पर अपनी गाड़ी के पॉल्यूशन की जांच कराते रहें. दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण गाड़ियों से निकलने वाला धुआं भी है, यही कारण है कि पिछले कुछ साल से जब पॉल्यूशन बढ़ता है, तो दिल्ली सरकार ईवन और ऑड फॉर्मूला अपनाती है, ताकि सड़कों से गाड़ियों को कम किया जा सके, लेकिन पॉल्यूशन केंद्र पर बैठे ये लोग चंद पैसे के लालच में सरकार के सारे प्लान को फेल कर रहे हैं और हम ज़हरीली हवा में सांस ले रहे हैं.