
आदिपुरुष को ले डूबे बवाल, रिलीज के छह दिन बाद सिनेमा हॉल में हमने जो देखा
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निर्देशक ओम राउत की फिल्म 'आदिपुरुष' बीते 16 जून को रिलीज हुई और सिनेमा हॉल में आती ही विवादों की भेंट चढ़ गई. किरदारों के डायलॉग्स को लोगों ने स्तरहीन बताया और साथ ही कहा कि फिल्म कहीं से आदर्श रामकथा नहीं लगती. विवादों की इस झड़ी के बीच हमने खुद सच जानने के लिए सिनेमा हॉल का रुख किया, और जो नजर आया वो आपके सामने है.
अमेरिकी लेखक ओ हेनरी की प्रसिद्ध लघु कथा 'द लास्ट लीफ' उम्मीद, आशा और जिजिविषा का मतलब समझाने वाली एक बेहतरीन कहानी है. कहानी में मरने की कगार पर पहुंची एक लड़की, अपनी मौत की तारीख किसी झड़ती हुई बेल की पत्तियों से तय कर लेती है. सोच लेती है कि जैसे ही आखिरी पत्ता गिरा, उसके भी जीवन डोर टूट जाएगी. लेकिन, एक दिन गुजरा, रात बीती, सुबह आई, शाम ढलने को हुई बेल से आखिरी पत्ता नहीं गिरा. उसके न गिरने ने लड़की को उम्मीद दी, जीने की आशा दी और वह बीमार बिस्तर से उठ खड़ी हुई.
कुछ सालों पहले बॉलीवुड में इसी कहानी से प्रेरित 'लुटेरा' फिल्म बनी थी. बॉक्स ऑफिस पर कोई बड़ा कमाल नहीं कर रही थी, लेकिन क्रिटिक्स से सराहना मिली. इसके गाने आज भी सुनते-गुनगुनाते लोग मिल जाएंगे. खैर, हमें बात 'लुटेरा' की नहीं करनी थी. बात करनी है 'प्रेरित' शब्द की, क्योंकि बीते शुक्रवार जब से 'आदिपुरुष' रिलीज हुई है, ये 'प्रेरणा और प्रेरित' शब्द अखबार, टीवी, वेबसाइट हर जगह की खबरों में जगह बनाए हुए हैं.
फिल्म के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला अपनी सफाई में लगातार कह रहे हैं कि 'हमने रामायण नहीं बनाई, हम केवल उससे प्रेरित हैं, हमारे डिस्क्लेमर में भी यही लिखा है.' पूरी फिल्म के दौरान बैकग्राउंड में बज रहा 'जय श्री राम, जय श्री राम' ही उनके इस प्रेरित वाले तर्क को खारिज कर देता है. दूसरी बात ये कि जब फिल्म के लीड किरदार राघव-जानकी और शेष हैं तो फिर ये श्री राम कौन हैं, जिनकी जय-जयकार बैक ग्राउंड में फिल्म की शुरुआत के पहले मिनट से ही हो रही है.
बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम हो गई आदिपुरुष बॉक्स ऑफिस के इतिहास की सबसे बड़ी ओपनिंग लेकर आदिपुरुष ने इतिहास रचा लेकिन फिल्म देखकर बाहर आए दर्शक ही इसके सबसे बड़े दुश्मन साबित हो गए. फिल्म के संवादों पर विवाद शुरू हुआ तो आदिपुरुष और इसके मेकर्स के खिलाफ सोशल मीडिया पर कैंपेन शुरू हो गया. नतीजा बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ऐसी गिरी कि पहला हफ्ता काटना तक मुश्किल लगने लगा है.
भारी-भरकम सेट, वीएफएक्स, प्रभास जैसा बाहुबली हीरो साथ में बीते एक साल से फिल्म के प्रचार में सनातन, धर्म, आस्था, हिंदुत्व, संस्कृति जैसे शब्दों का बढ़-चढ़कर इस्तेमाल... ये सब वो फॉर्मूले थे कि फिल्म की रिलीज से पहले ही इसके सुपरडुपर हिट होने की भविष्यवाणी होने लगी थीं. फिर ऐसा क्या हुआ कि बुकिंग कैंसल होने लगी और इसके समर्थक ही सोशल मीडिया पर मेकर्स और राइटर्स की लानत-मलानत करने लगे.
रविवार को मनोज मुंतशिर शुक्ला ने दावा किया था कि 'उन्होंने मास्क पहनकर थिएटर में लोगों के बीच बैठकर फिल्म देखी है. लोग फिल्म को लेकर प्रभावित हैं, कई सीन हैं, जिनसे वे खुश हो रहे हैं और तालियां बजा रहे हैं.' वीकेंड पर फिल्म की सफलता के शोर और बाद के तीन दिन उसकी आलोचनाओं के जोर के बाद हमने थियेटर का रुख किया ताकि जाना जा सके कि वहां के माहौल और दर्शकों पर इसका कितना और कैसे असर हुआ है.

अविनाश दास के डायरेक्शन में बनीं फिल्म इन गलियों में एक रोमांटिक ड्रामा है. जिसमें प्रेम-समाज और सोशल मीडिया के प्रभाव पर बात की गई है. फिल्म में एक्टर जावेद जाफरी, विवान शाह, अवंतिका दासानी ने लीड रोल प्ले किया है. 14 मार्च को रिलीज हो रही इस फिल्म ने समाज को सशक्त बनाने के लिए शानदार संदेश दिया है. फिल्म का निर्माण विनोद यादव, नीरू यादव ने किया है. इन गलियों में जावेद जाफरी मिर्जा साहब के रोल में समाज को सुधारने उतरे हैं. ये कहानी जरूर देखें लेकिन क्यों ये जानने के लिए जरूर देखें खास बातचीत.

बॉलीवुड से लेकर टीवी और यहां तक की पाकिस्तानी सिनेमा में भी 11 मार्च, मंगलवार के दिन हलचल मची रही. 'अपोलीना' शो की एक्ट्रेस अदिति शर्मा अपनी तलाक की खबरों को लेकर चर्चा में रहीं. वहीं पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक की तीसरी पत्नी सना जावेद के प्रेग्नेंट होने की खबरें सामने आईं. फिल्म रैप में पढ़ें बड़ी खबरें.