अमेरिका की सत्ता में ट्रंप की वापसी, एक-दो नहीं... भारत के लिए ये 3 नुकसान भी संभव!
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SBI के मुताबिक ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 8 से 10 फीसदी तक कमजोर हो सकता है. इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान रुपया 11 फीसदी तक गिरा था.
अगले साल 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के सत्ता संभालने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था पर शॉर्ट टर्म में कई निगेटिव असर होने के अनुमान हैं. SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद रुपया कमजोर हो सकता है, जिससे भारत में महंगाई बढ़ सकती है.
एसबीआई के मुताबिक ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 8 से 10 फीसदी तक कमजोर हो सकता है. इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान रुपया 11 फीसदी तक गिरा था. जबकि ओबामा के दूसरे कार्यकाल यानी 2012 से 2016 के दौरान रुपया करीब 29 फीसदी तक कमजोर हो गया था.
रुपया हो सकता है कमजोर...
हालांकि बाइडेन के कार्यकाल में रुपये में ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है. इस बार भले ही गिरावट बीते 2 राष्ट्रपतियों के कार्यकाल से कम हो, लेकिन गिरावट होने की भरपूर आशंका है. इसके पीछे मजबूत अमेरिकी डॉलर और अमेरिका में उच्च ब्याज दरें हैं, जो ग्लोबल इन्वेस्टर्स को डॉलर में निवेश करने के लिए आकर्षित करेंगी, जिससे रुपया कमजोर हो सकता है.
रुपया कमजोर कैसे होता है? डॉलर की तुलना में अगर किसी भी मुद्रा का मूल्य घटता है तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना या कमजोर होना कहा जाता है. अंग्रेजी में इसे 'करेंसी डेप्रिसिएशन' कहते हैं. रुपये की कीमत कैसे घटती-बढ़ती है, ये पूरा खेल अंतरराष्ट्रीय कारोबार से जुड़ा हुआ है. हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है. चूंकि दुनियाभर में अमेरिकी डॉलर का एकतरफा राज है, इसलिए विदेशी मुद्रा भंडार में अमेरिकी डॉलर ज्यादा होता है. दुनिया में 85 फीसदी कारोबार डॉलर से ही होता है. तेल भी डॉलर से ही खरीदा जाता है.
बता दें, रुपये की कमजोरी का सीधा असर भारत में महंगाई पर पड़ेगा. एसबीआई का अनुमान है कि अगर डॉलर के मुकाबले रुपये में 5 फीसदी की गिरावट होती है तो महंगाई में 25-30 बेसिस पॉइंट्स का इजाफा हो सकता है.
दिल्ली में प्रदूषण पर कंट्रोल के दावे की खुली पोल, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट देने में फर्जीवाड़े का खुलासा
दिल्ली सरकार ने पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए ही ट्रैफिक चालान 500 रुपए से बढ़ाकर 10 हज़ार किया था, ताकि लोग तय समय पर अपनी गाड़ी के पॉल्यूशन की जांच कराते रहें. दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण गाड़ियों से निकलने वाला धुआं भी है, यही कारण है कि पिछले कुछ साल से जब पॉल्यूशन बढ़ता है, तो दिल्ली सरकार ईवन और ऑड फॉर्मूला अपनाती है, ताकि सड़कों से गाड़ियों को कम किया जा सके, लेकिन पॉल्यूशन केंद्र पर बैठे ये लोग चंद पैसे के लालच में सरकार के सारे प्लान को फेल कर रहे हैं और हम ज़हरीली हवा में सांस ले रहे हैं.