
US बनाने जा रहा सबसे ताकतवर फाइटर प्लेन, देखें दुनिया आजतक
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अमेरिका दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान बनाने जा रहा है. ये जानकारी खुद राष्ट्रपति ट्रंप ने दी. व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने बताया कि अमेरिका छठी पीढ़ी का फाइटर प्लेन बनाने जा रहा है, जिसे F-47 के नाम से जाना जाएगा. देखें दुनिया की बड़ी खबरें.

ट्रंप ने कॉलेज प्रदर्शनकारियों के नाम और राष्ट्रीयता की मांगी डिटेल, भारतीय छात्रों की बढ़ेगी चिंता?
ट्रंप प्रशासन द्वारा छात्रों के नाम और राष्ट्रीयता की मांग ने भारत सहित अंतर्राष्ट्रीय छात्रों पर कार्रवाई की आशंकाओं को जन्म दिया है. कानूनी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा छात्रों के नाम मांगे जाने के परिणामस्वरूप इन छात्रों की निगरानी, गिरफ्तारी या निर्वासन भी हो सकता है.

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने पाकिस्तानी सेना पर हमला कर 5 जवानों को मार दिया, जिसमें एक मेजर भी शामिल है. बीएलए ने हमले का वीडियो जारी किया है. चीन ने पाकिस्तान से अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है. बलूचिस्तान में चीन की कई कंपनियां काम कर रही हैं और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी यहीं से गुजरता है.

अमेरिका यूं ही सुपर पावर नहीं, बल्कि इसमें काफी हाथ उसके खुफिया तौर-तरीकों का भी है, फिर चाहे वो 9/11 के बाद सैन्य अटैक हों, या एरिया 51 की गोपनीयता, जहां कथित तौर पर एलियन्स पर खोज काफी आगे जा चुकी. कोई भी योजना बनाते हुए ये देश बेहद सतर्कता बरतता रहा. इसी सीक्रेसी में हाल में सेंध लगती दिखी, जब अमेरिकी सैन्य अधिकारी खुफिया मुहिम की चर्चा सिग्नल पर करने लगे, जो वॉट्सएप की तरह ही एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सर्विस है.

जय स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हेल्थ पॉलिसी के प्रोफेसर हैं, नेशनल ब्यूरो ऑफ इकनॉमिक्स रिसर्च में एक रिसर्चर एसोसिएट हैं और स्टैनफोर्ड इंस्टीट्यूट फॉर इकनॉमिक पॉलिसी रिसर्च, स्टैनफोर्ड फ्रीमैन स्पोगली इंस्टीट्यूट और हूवर इंस्टीट्यूशन में एक वरिष्ठ फेलो हैं. वह स्टैनफोर्ड के सेंटर फॉर डेमोग्राफी एंड इकोनॉमिक्स ऑफ हेल्थ एंड एजिंग को निर्देशित करते हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ब्रिटेन के किंग चार्ल्स की ऐसे वक्त पर तारीफ की, जब वो यूरोप और खासकर नाटो से दूरी बना रहा है. ये कयास भी लग रहे हैं कि अमेरिका 18वीं सदी के बाद पहली बार कॉमनवेल्थ देशों में शामिल हो सकता है. ये एक डिप्लोमेटिक रणनीति भी हो सकती है ताकि यूरोप में अमेरिका के लिए आए तनाव के तार कुछ ढीले पड़ें.

महरंग, सम्मी और सीमा बलोचिस्तान की इन बेटियों ने इंतजार की इंतहा के बाद इकंलाब का रास्ता चुना है. सीधे सवाल करने का रास्ता अख्तियार किया है. लेकिन ये प्रतिरोध हिंसक नहीं बल्कि गांधी की सदाकत से ताकत पाता है. इन लोगों ने अपने निजी दुखों को एक सामूहिक संघर्ष में बदला, और पाकिस्तानी सेना और सरकार के उस सिस्टम को हिला दिया, जो दशकों से बलोचिस्तान की आवाज को कुचलता आया है. ये नाम आज बलोचिस्तान में प्रतिरोध के प्रतीक बन चुके हैं.