
US प्रेसिडेंशियल इलेक्शन: इकलौते मुस्लिम बहुल शहर के मेयर ने किया ट्रंप को समर्थन देने का ऐलान
AajTak
अमेरिका के हैमट्रैक शहर की आबादी करीब 28 हजार है. साल 2021 में हैमट्रैक उस वक्त सुर्खियों में आया, जब यह एक मुस्लिम नगर परिषद और एक मुस्लिम मेयर को चुनने वाला पहला अमेरिकी शहर बन गया.
संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के एकमात्र मुस्लिम बाहुल्य शहर के मेयर आमेर ग़ालिब (Amer Ghalib) राष्ट्रपति चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया है. मिशिगन के अहम राज्य के हैमट्रैमक शहर का नेतृत्व करने वाले आमेर ग़ालिब ने रविवार को कहा कि रिपब्लिकन उम्मीदवार कुछ मुद्दों पर उनकी असहमति के बावजूद 'सिद्धांतों वाले व्यक्ति' और 'सही च्वाइस' हैं.
ग़ालिब ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, "डोनाल्ड ट्रंप और मैं हर मुद्दे पर सहमत नही हैं लेकिन मैं जानता हूं कि वे सिद्धांतों वाले आदमी हैं." उन्होंने आगे कहा कि अच्छा लग रहा है, वह चुनाव जीतें या नहीं, राष्ट्रपति बने या नहीं लेकिन मेरा मानना है कि वह इस अहम वक्त के लिए सही च्वाइस हैं. नतीजे कुछ भी हों, मुझे अपने फैसले पर पछतावा नहीं होगा और मैं नतीजों का सामना करने के लिए तैयार हूं. ग़ालिब ने कहा, "अब कारवां को अपना सफर शुरू करना चाहिए, यह तो बस शुरुआत है."
इस बात के ऐलान करने के तुरंत बाद ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर ग़ालिब के समर्थन वाले पोस्ट का स्क्रीनशॉट पोस्ट किया.
कौन हैं आमेर ग़ालिब?
हैमट्रैक शहर की आबादी करीब 28 हजार है. साल 2021 में हैमट्रैक उस वक्त सुर्खियों में आया, जब यह एक मुस्लिम नगर परिषद और एक मुस्लिम मेयर को चुनने वाला पहला अमेरिकी शहर बन गया. ग़ालिब, 17 साल की उम्र में यमन से अमेरिका आ गए थे. उन्होंने मिशिगन के फ्लिंट शहर में एक टाउन हॉल में रिपब्लिकन उम्मीदवार से मिलने के एक हफ्ते से भी कम वक्त बाद ट्रंप को अपना समर्थन देने की पेशकश की.
ग़ालिब ने पिछले हफ्ते Detroit News को बताया, "दोनों ने अरब और मुस्लिम अमेरिकियों की चिंताओं पर चर्चा की थी और ट्रंप ने उनसे समर्थन मांगा था. मिशिगन उन सात प्रमुख स्विंग राज्यों में से एक है, जहां से नवंबर में ट्रंप और उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रतिद्वंद्वी, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच होने वाले मुकाबले का नतीजा तय होने की उम्मीद है.

पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान के दौरे पर पहुंचे हैं, जहां उन्होंने कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि उसने रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर लिया है तो दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) का कहना है कि ISPR द्वारा किए गए दावे झूठे हैं और पाक हार को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा है.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.