UP में अवैध रूप से रहने वाले रोहिंग्या गिरफ्तार, ATS का 6 जिलों में बड़ा एक्शन
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UP News: प्रदेश स्तर पर पिछले कई दिन से अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को लेकर जांच पड़ताल चल रही है. इसी जांच के क्रम में सुबह एक साथ गिरफ्तारी अभियान चलाया गया. इसी अभियान में कोतवाली क्षेत्र के मकदूम नगर पीपल वाली गली से 17 रोहिंग्या गिरफ्तार किए गए
UP ATS ने अवैध रूप से उत्तर प्रदेश में रहने वाले रोहिंग्या मुस्लिमों को गिरफ्तार किया है. प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, अलीगढ़ और मथुरा में यह कार्रवाई की गई. अभियान चलाकर तकरीबन 74 रोहिंग्या गिरफ्तार किए गए हैं.
जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेशी नागरिक और रोहिंग्या की संख्या लगभग 4000 है. जो कि शहरों में झुग्गी झोपड़ियां बनाकर रहते हैं. पुलिस के मुताबिक, पकड़े गए लगभग 10 से 15 साल से उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं. यहां तक कि कइयों राशन कार्ड और डॉक्यूमेंट भी बनवा लिए हैं. कई तो झोपड़ियों की जगह अपने पक्के मकान भी बना दिए हैं.
एटीएस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि बचपन में ही भारत आ गए थे. यहीं पर जवान हुए, यहीं शादियां हुईं और बच्चे हो गए, इसलिए अब यहीं के हो गए हैं. यही नहीं, आगरा-दिल्ली नेशनल हाइवे पर गांव अलापुर और कोटा के पास बड़ी जल्दी जोगिया बना कर गई रोहिंग्या रह रहे थे. इसकी संख्या 300 से ऊपर है. कबाड़ का काम करते हैं. समय समय पर अपना ठिकाना भी बदलते रहते हैं.
अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं के खिलाफ एटीएस और इलाका पुलिस ने अभियान चलाया और मकदूम नगर इलाके से 17 रोहिंग्या गिरफ्तार किए गए. कई दिन से चल रही जांच पड़ताल के बाद पुलिस और एटीएस की स्थानीय यूनिट ने संयुक्त रूप से ये कार्रवाई की और सभी की गिरफ्तारी के बाद उन्हें विदेशी अधिनियम में दर्ज मुकदमे में जेल भेजा दिया.
प्रदेश स्तर पर पिछले कई दिन से अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं को लेकर जांच पड़ताल चल रही है. इसी जांच के क्रम में सुबह एक साथ गिरफ्तारी अभियान चलाया गया. इसी अभियान में अलीगढ़ के मकदूम नगर पीपल वाली गली से 17 रोहिंग्या गिरफ्तार किए गए, जिनमें सात पुरुष और दस महिलाएं शामिल हैं. महिलाओं के साथ कुछ छोटे बच्चे भी थे. जांच और तलाशी के दौरान इनके पास किसी तरह का शरणार्थी कार्ड नहीं मिला.
वहीं, रोहिंगयाओं से जब बातचीत की गई तो पता चला कि म्यामार में जब युद्ध चल रहा था, तो वह अपनी जान बचाकर बॉर्डर क्रॉस कर भारत आ गये थे. अब यहां अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. रोहिंग्या के स्टेटस और राज्य विहीन जातीय समूह है. इस्लाम को मानते हैं. 1982 में बौद्ध बहुल देश में म्यानमार (बर्मा) रोहिंग्या की नागरिकता छीन ली थी. इससे उन्हें शिक्षा, सरकारी नौकरी समेत कई अधिकारियों से अलग कर दिया गया था, तब से ज्यादा देशों में पहुंच चुके हैं. अकेले बांग्लादेश में रोहिग्या मुस्लिमों की संख्या 13 लाख से ज्यादा है.
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