UP के शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा: लंदन वाली प्रियंका के नाम थी सरकारी नौकरी, 39 लाख वेतन भी उठाया
AajTak
UP News: प्रियंका यादव ने प्रियंका प्रजापति के नाम सरकारी नौकरी हासिल कर अबतक 38 लाख 99 हजार वेतन उठा लिया. अब करीब 6 साल बाद इस फर्जीवाड़े का खुलासा हो पाया है.
उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर में फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी करने वाली प्रियंका यादव पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है. ब्रिटेन की राजधानी लंदन में रहने वाली प्रियंका प्रजापति के नाम पर आरोपी युवती मिर्जापुर में टीचर बनी हुई थी. साथ ही 6 साल की नौकरी में वह करीब 39 लाख रुपये वेतन भी ले चुकी. एक गुमनाम पत्र से हुए इस खुलासे के बाद यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है.
यह पूरा मामला मिर्जापुर के एक सरकारी स्कूल में फर्जीवाड़ा कर नियुक्ति पाने का है. लंदन में मौजूद एक महिला के फर्जी दस्तावेजों पर उनके नाम की दूसरी महिला जिले में सरकारी टीचर की नौकरी कर रही थी. मामले का खुलासा होने के बाद आरोपी महिला शिक्षिका के खिलाफ पड़री थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है.
2019 से लंदन में रहती हैं प्रियंका प्रजापति
दरअसल, कन्नौज जिले के रहने वाले मनोज कुमार प्रजापति की बेटी प्रियंका प्रजापति साल 2019 से लंदन में पति अश्विनी कुमार के साथ रहती हैं. पता चला कि प्रियंका प्रजापति के अकेडमिक रिकॉर्ड्स को हूबहू कॉपी कर कन्नौज की ही प्रियंका यादव (अजमेर सिंह यादव की बेटी) ने उर्दू सहायक अध्यापक की नौकरी हासिल की ली थी.
2015 में प्रियंका यादव ने हासिल की नौकरी
अधिकारियों के मुताबिक, एलटी भर्ती 2014 में सहायक अध्यापक उर्दू के लिए भर्तियां निकली थीं. जिसमें प्रियंका यादव ने आवेदन किया था. 28 अगस्त 2015 में उसकी नियुक्ति हुई और उसे मिर्जापुर के पहाड़ी ब्लॉक स्थित राजकीय बालिका हाईस्कूल भरपुरा में पदस्थ किया गया. मगर इस बीच एक गुमनाम पत्र से अधिकारियों को पता चला कि प्रियंका जिस डिग्री पर यह नौकरी कर रही है, वह तो किसी दूसरी प्रियंका की है.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.