UK इलेक्शन: इंडिया-ब्रिटेन संबंधों के पक्षधर, पेशे से वकील... जानिए कौन हैं सुनक को टक्कर देने वाले कीर स्टार्मर
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कीर स्टार्मर ने लेबर पार्टी और भारतीय प्रवासियों के बीच जुड़ाव को फिर से स्थापित करने की कोशिश की थी, जो कश्मीर पर कथित भारत विरोधी रुख के कारण कमजोर हो गया था. कीर ने पिछले साल इंडिया ग्लोबल फोरम (आईजीएफ) में भारत-यूके संबंधों के लिए माहौल तैयार करते हुए कहा, 'मेरे पास आप सभी के लिए एक स्पष्ट संदेश है... यह एक बदली हुई लेबर पार्टी है.'
ह्यूमन राइट्स बैरिस्टर से लेबर पार्टी के नेता बने कीर स्टार्मर ने अपने मैनिफेस्टो में वादा किया है कि अगर गुरुवार के आम चुनाव में उन्हें जनादेश मिलता है और लेबर पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार बनती है तो वह भारत के साथ 'नई रणनीतिक साझेदारी' को आगे बढ़ाएंगे जिसमें एक एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) भी शामिल होगा.
कीर स्टार्मर ने बदल दी लेबर पार्टी की किस्मत
कीर ने राजनीति की दुनिया में कदम रखने से पहले अपने करियर का ज्यादातर समय कानूनी पेशे में बिताया. वह पहली बार 2015 में लंदन से लेबर पार्टी के सांसद के रूप में चुने गए. 61 साल के कीर दो बच्चों के पिता हैं. एनएचएस (नेशनल हेल्थ सर्विस) में काम करने वाली उनकी पत्नी विक्टोरिया और उन्होंने अपने बच्चों को लाइमलाइट से दूर रखने का फैसला किया है. कीर को 2019 के आम चुनाव में अपने सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन के बाद लेबर पार्टी की किस्मत को पलटने का श्रेय दिया जाता है.
'यह एक बदली हुई लेबर पार्टी है'
कीर स्टार्मर ने लेबर पार्टी और भारतीय प्रवासियों के बीच जुड़ाव को फिर से स्थापित करने की कोशिश की थी, जो कश्मीर पर कथित भारत विरोधी रुख के कारण कमजोर हो गया था. कीर ने पिछले साल इंडिया ग्लोबल फोरम (आईजीएफ) में भारत-यूके संबंधों के लिए माहौल तैयार करते हुए कहा, 'मेरे पास आप सभी के लिए एक स्पष्ट संदेश है... यह एक बदली हुई लेबर पार्टी है.'
उन्होंने कहा, 'मेरी लेबर सरकार भारत के साथ लोकतंत्र के हमारे साझा मूल्यों पर आधारित संबंध स्थापित करेगी. इसमें एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट भी शामिल होगा. हम वैश्विक सुरक्षा, जलवायु सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा के लिए एक नई रणनीतिक साझेदारी भी चाहते हैं.'
1991 में गल्फ वॉर की समाप्ति ने ईरान और इज़रायल के बीच खुली दुश्मनी के युग की शुरुआत की. सोवियत संघ के पतन और एकमात्र महाशक्ति के रूप में अमेरिका के उदय ने इस क्षेत्र को और अधिक पोलराइज्ड कर दिया. वहीं, ईरान और इज़रायल ने खुद को लगभग हर प्रमुख जियो-पॉलिटिकल विमर्श में एक दूसरे के खिलाफ पाया. 1980 के दशक में शुरू हुआ ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम 1990 के दशक से विवाद का केंद्र बन गया.