The Great Indian Wheat Story: तुर्की से लेकर मिस्र तक, भारतीय गेहूं की 'सियासत' ने दुनियाभर में ऐसे बनाई 'सुर्खियां'!
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सरकार जल्द ही गेहूं की और खेप को भी निर्यात करने की मंजूरी दे सकती है, क्योंकि एक्सपोर्ट पर लगे प्रतिबंध के बाद बड़ी मात्रा में गेहूं की खेप देश के बंदरगाहों पर फंस गई है. इसे खाली करने के लिए सरकार गेहूं के निर्यात की मंजूरी जल्द ही दे सकती है.
हमारे किसान जो गेहूं उगाते हैं, कभी वह दुनिया के अखबारों की मुख्य खबर भी बन सकता है, ऐसा हमने कब सोचा था? लेकिन बीते कुछ वक्त को देखें तो भारत के गेहूं निर्यात पर बैन लगाने के बाद से ये वैश्विक पटल पर लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम से लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तक को भारतीय गेहूं की चिंता है, तो तुर्की से लेकर मिस्र तक पहुंचने में इसने एक नया अध्याय लिखा है. जानें दुनिया में कैसे तहलका मचाया इस भारतीय गेहूं ने.
गेहूं की वैश्विक सियासत
गेहूं की वैश्विक सियासत का ये सिलसिला रूस और यूक्रेन के युद्ध के बाद ही शुरू हो गया. रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश है, तो वहीं रूस और यूक्रेन दोनों मिलकर दुनिया का 25% गेहूं निर्यात करते हैं, लेकिन आर्थिक प्रतिबंधों और युद्ध के चलते दुनिया में गेहूं की आपूर्ति बाधित हुई और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें 40% तक बढ़ गईं. इससे यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया के करोड़ों लोगों के लिए खाद्य संकट पैदा हो गया. वहीं इस बीच दुनिया की नजर टिकी भारतीय गेहूं पर, क्योंकि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है.
लगा गेहूं एक्सपोर्ट पर बैन
इस बीच मई के मध्य में भारत सरकार ने गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने का बड़ा फैसला किया. इंटरनेशनल मार्केट में कीमतों के बढ़ने और देश में कम पैदावार का अनुमान घटने से सरकार को घरेलू स्तर पर खाद्य सुरक्षा की चिंता सताने लगी. गेहूं और आटे की कीमतें घरेलू मार्केट में बढ़ने लगी, तो महंगाई को कंट्रोल करने के लिए भी सरकार ने एक्सपोर्ट बैन का फैसला ले लिया. हालांकि भारत सरकार ने बैन से पहले हुई एक्सपोर्ट डील को पूरा करने, साथ ही साथ देश, पड़ोसी देश और अन्य विकासशील देशों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने को लेकर प्रतिबद्धता जताई. खासकर के उन देशों को गेहूं एक्सपोर्ट करने की बात कही जहां ग्लोबल मार्केट में गेहूं की बढ़ती कीमतों का विपरीत असर हुआ, लेकिन इसके लिए दोनों देश की सरकारें ही आपस में डील कर सकती हैं.
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