Tata Group Story: कौन है मालिक... कैसे चलती हैं टाटा की 100 से ज्यादा कंपनियां? ऐसे लिए जाते हैं फैसले
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Tata Group की बिजनेस जगत में एंट्री आजादी से पहले हुई थी और आज इसका कारोबार दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है और टाटा की कंपनियों में काम करने वाली कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 1,028,000 (FY23 के मुताबिक) पहुंच चुकी है.
घर की रसोई हो या फिर आसमान की सैर... टाटा (Tata) का नाम आपको दिखाई दे ही जाएगा. ऐसा हो भी क्यों ना आखिर देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों शामिल टाटा ग्रुप में 100 से ज्यादा कंपनियां हैं और लगभग हर सेक्टर में इनका कारोबार फैला हुआ है. फिर बात चाहे नमक, पानी, चाय-कॉफी की हो या फिर घड़ी-ज्वैलरी, कार या प्लेन की. टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) के नेतृत्व में ये कंपनियां बुलंदियों पर पहुंचीं और दुनिया में कारोबार का विस्तार किया, लेकिन क्या आप जानते हैं उनके चेयरमैन पद से हटने के बाद अब सैकड़ों कंपनियों को कौन संभालता है और कैसे इनसे जुड़े एक-एक फैसले लिए जाते हैं?
1868 में शुरू हुआ था Tata का सफर Tata Group का सफर भारती की आजादी से बहुत पहले साल 1868 में एक ट्रेडिंग फर्म के तौर पर शुरू हुआ था और अब इसका कारोबार देश ही नहीं विदेशों तक फैला हुआ है. शेयर बाजार (Stock Market) में लिस्टेड और अनलिस्टेड कंपनियों समेत करीब 100 सब्सडियरी कंपनियों से जुड़कर कारोबार कर रहा है. टाटा का साम्राज्य इतना बड़ा है कि ये 6 महाद्वीपों के करीब 100 से अधिक देशों में सक्रिय है, जबकि 150 देशों में इसके प्रोडक्टस मौजूद हैं.
1 लाख से ज्यादा लोगों को दे रहा रोजगार देश को पहला लग्जरी होटल, पहली एयरलाइंस या फिर पहली देशी कंज्यूमर गुड्स कंपनी टाटा ग्रुप के रेवेन्यू की बात करें, तो वित्त वर्ष 2023-24 में ये 165 अरब डॉलर था. वहीं दुनियाभर में टाटा ग्रुप की कंपनियों में काम करने वाली कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 1,028,000 (FY23 के मुताबिक) पहुंच चुकी है. ग्रुप की आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) दुनिया कर्मचारियों की संख्या के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है और अकेले इस कंपनी में 6,14,795 एंप्लाई काम करते हैं.
शेयर बाजार में लिस्टेड Tata की प्रमुख कंपनियां
रतन टाटा के आते ही दुनिया में टाटा का डंका जमशेतजी टाटा (Jamshedji Tata) द्वारा खड़े किए गए इस विशाल कारोबारी सम्राज्य को रतन टाटा ने बुलंदियों पर पहुंचाया. साल 1991 में टाटा ग्रुप की कमान संभालने के बाद लंबे समय तक Ratan Tata ने दुनिया में टाटा का डंका बजाया और कंपनियों को मुनाफे का सौदा बनाया. इसके बाद टाटा संस के चेयरमैन पद से 2012 में इस्तीफा देते हुए उन्होंने दिवंगत साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) को कमान सौंपी, लेकिन कई ऐसे मुद्दे उठे कि उन्होंने बोर्ड ने मिस्त्री को हटाकर 2016 में एक बार फिर जिम्मेदारी अपने हाथों में ली. हालांकि, 2017 में उन्होंने रिटायरमेंट लेते हुए ये जिम्मेदारी नटराजन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) को दे दी. हालांकि, ट्रस्ट की जिम्मेदारी रतन टाटा ही संभाल रहे हैं.
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