SIS Success Story: सिर्फ 250 रुपये से 2 कमरे में शुरू की कंपनी... आज 12000 करोड़ का एंपायर, कई देशों तक है कारोबार!
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आरके सिन्हा ने 1974 में पटना में इस कंपनी की नींव रखी थी और आज उनकी ये कंपनी भारत के अलावा आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में सेवाएं दे रही है. फोर्ब्स के अनुसार, आरके सिन्हा की मौजूदा नेटवर्थ (RK Sinha Net Worth) 8300 करोड़ (1 बिलियन डॉलर) रुपये है.
आपने भी ऑफिस या मॉल के बाहर नीले कलर के ड्रेस पहने सिक्योरिटी गार्ड को देखा होगा? ये सिक्योरिटी गार्ड भारत की सबसे बड़ी निजी सुरक्षा प्रदाता फर्म सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (SIS) के कर्मचारी होते हैं, जिसकी शुरुआत रविंद्र किशोर सिन्हा ने की थी. उन्होंने इस कंपनी की शुरुआत दो कमरे से की थी, लेकिन आज ये 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा का एंपायर बन चुका है.
आरके सिन्हा ने 1974 में पटना में इस कंपनी की नींव रखी थी और आज उनकी ये कंपनी भारत के अलावा आस्ट्रेलिया समेत कई देशों में सेवाएं दे रही है. फोर्ब्स के अनुसार, आरके सिन्हा की मौजूदा नेटवर्थ (RK Sinha Net Worth) 8300 करोड़ (1 बिलियन डॉलर) रुपये है. SIS कंपनी को एशिया प्रशांत सेक्टर में मैनपावर सिक्योरिटी बिजनेस में लीडर्स के तौर पर मान्यता मिली हुई है, जिसमें 36000 से ज्यादा स्थायी कर्मचारी और 3000 कॉर्पोरेट कस्टमर्स हैं.
कंपनी को ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा रेवेन्यू आरके सिन्हा की SIS को सबसे ज्यादा रेवेन्यू आस्ट्रेलिया से मिलता है. SIS ने कैश लॉजिस्टिक्स सर्विस प्रोवाइड करने के लिए स्पेन की प्रोसेगुर के साथ एक संयुक्त कारोबार शुरू किया है. आरके सिन्हा न केवल एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन हैं, बल्कि वे एक राजनेता भी हैं. सिन्हा भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं.
जर्नलिस्ट के तौर पर किया काम पटना के एक मिडिल क्लास फैमिली में पैदा हुए आर के सिन्हा ने 1971 में पॉलिटिकल साइंस में डिग्री हासिल की. परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के उद्देश्य से उन्होंने एक प्रकाशन में ट्रेनी के पद पर रिपोर्टर की नौकरी की. उसी दौरान भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया. इस दौरान उनकी बिहार रेजिमेंट के सैनिकों के साथ दोस्ती हुई. युद्ध समाप्त होने के बाद वे 1973 में हुए जेपी आंदोलन में शामिल हो गए. जिस कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया.
फिर शुरू की सिक्योरिटी कंपनी नौकरी जाने के बाद उनके लिए आर्थिक तौर पर गुजारा करने के लिए सिर्फ 2 महीने का वेतन 250 रुपये था, जो प्रकाशन कंपनी ने दिया था. वे सोच नहीं पा रहे थे कि अब आगे क्या करूं. उस दौरान वे अपने एक दोस्त से मिले, जिसका कंस्ट्रक्शन का बिजनेस था. उसने बताया कि उसे प्रोजेक्स साइट की सुरक्षा के लिए पूर्व सैनिकों की तलाश है. जब सिन्हा ने युद्ध के समय बिहार रेजिमेंट के सैनिकों से दोस्ती के बारे में बताया तो दोस्त ने उन्हें एक सिक्योरिटी कंपनी बनाने की सलाह दी.
फिर आरके सिन्हा ने पूर्व सैनिकों से संपर्क किया. उनमें से बहुत से काम रिटायरमेंट के बाद काम की तलाश में थे. फरवरी 1974 में पटना में दो कमरों के गैराज में SIS की स्थापना की. उन्होंने बिहार रेजिमेंट में अपने संपर्कों से मुलाकात की और रिटायरर्ड कर्मियों की डिटेल ली और काम करने के लिए राजी की. एसआईएस की स्थापना के एक साल के भीतर ही कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 250-300 हो गई और टर्नओवर 1 लाख रुपये पार कर गया.