
JAL Insolvency: गौतम अडानी से वेदांता तक रेस में, इस कंपनी को खरीदने की मची होड़
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JAL Insolvency: जय प्रकाश एसोसिएट लिमिटेड (JAL) को खरीदने की होड़ में बड़े-बड़े कारोबारी घराने शामिल हैं. गौतम अडानी के अडानी ग्रुप से लेकर जेएसडब्ल्यू और वेदांता तक रेस में हैं.
जय प्रकाश एसोसिएट लिमिटेड यानी JAL को खरीदने की होड़ सी मची नजर आ रही है. कंपनी को खरीदने के लिए बोली लगाने वालों में गौतम अडानी के नेतृत्व वाला अडानी ग्रुप शामिल है, तो दूसरी ओर जिंदल पावर से लेकर टोरेंट जैसे बड़े कारोबारी ग्रुप्स ने भी इसमें अपनी दिलचस्पी दिखाई है. बता दें कि बीते साल 2024 में आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की याचिका पर कंपनी को एनसीएलटी (NCLT) में दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया में शामिल किया गया था.
इन दिग्गजों में लगी है होड़ दिवालियापन प्रक्रिया से गुजर रही JAL की संपत्ति कुल 2 अरब डॉलर या करीब 17,300 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकती है, जिसे अपना बनाने के लिए तमाम दिग्गज कंपनियों ने कमर कस ली है. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, जेएसडब्ल्यू (JSW), डालमिया भारत (Dalmia Bharat), जिंदल पावर (Jindal Power), वेदांता (Vedanta), जीएमआर (GMR), वेलस्पन (Welspun) और टोरेंट (Torrent) जैसे बड़े कारोबारी ग्रुप्स कथित तौर पर जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को खरीदने के लिए रुचि पत्र (EOI) जमा कर चुके हैं.
रिपोर्ट की मानें तो Gautam Adani का अडानी ग्रुप जेएएल के लिए ईओआई जमा करने के लिए तय की गई आखिरी तारीख 25 मार्च की लास्ट डेट से पहले जमा कर सकता है. अडानी के अलावा दिल्ली बेस्ड एक अन्य कारोबारी घराने कोटक अल्टरनेट एसेट्स (Kotak Alternate Assets) द्वारा भी ईओआई पेश किया जा सकता है.
बीते साल 3 जून को शुरू हुई थी प्रक्रिया इस कंपनी के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट यानी EOI जमा करने की प्रक्रिया में ये तेजी तब देखने को मिल रही है, जबकि JAL को कोर्ट की निगरानी में दिवालियापन की कार्यवाही में शामिल होना है. यहां बता दें कि जेएएल के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया बीते 3 जून, 2024 को आए इलाहाबाद पीठ के आदेश पर शुरू की गई थी. कंपनी के पूर्व प्रमोटरों ने इसे एनसीएलएटी के समक्ष चुनौती दी है, लेकिन अभी तक इस प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगी है.
बीते 10 मार्च को आई पीटीआई की एक रिपोर्ट की मानें, तो NCLT ने निर्देश दिया है कि दिवाला प्रक्रिया के जरिये जेएएल के अधिग्रहण की कर्ज समाधान योजनाओं को अलग-अलग खंडों के हिसाब से नहीं, बल्कि पूरी कंपनी के लिए एक साथ लाया जाए. दरअसल, अपीलीय न्यायाधिकरण के मुताबिक, कंपनी के समाधान पेशेवर द्वारा Form G में संभावित खरीदारों से दो विकल्पों से लैस ईओआई आमंत्रित किए गए हैं. इसका दूसरा ऑप्शन जेएएल के बिजनेस ऑपरेशंस को कई ग्रुप्स में विभाजित करने की बात करता है, जो आईबीसी के प्रावधानों का उल्लंघन है.
कंपनी के पास कहां-कहां संपत्ति? कंपनी की परिसंपत्तियों की बात करें, तो फार्मूला वन रेस की मेजबानी के लिए मशहूर ग्रेटर नोएडा स्थित बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट, नोएडा एक्सप्रेस-वे पर 2,500 एकड़ भूमि, 10 मिलियन टन सालाना क्षमता वाले सीमेंट प्लांट, 5 होटल समेत अन्य शामिल हैं. वहीं बात करें, JAL के कर्जदारों की, जो इनमें ICICI Bank, SBI, PNB, IDBI Bank समेत 21 अन्य शामिल थे.