Rule Change: डिविडेंड, ब्याज पेमेंट से लेकर म्यूचुअल फंड पर... SEBI के नए नियम, जानिए क्या बदलेगा
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सेबी ने कहा कि पेमेंट तब नहीं हो पता है जब इक्विटी होल्डर्स का बैंक डिटेल गलत या उपलब्ध नहीं है, जिसके लिए कंपनियों को चेक भेजने की जरूरत होती है. हाल के आंकड़ों के अनुसार, टॉप 200 लिस्टेड कंपनियों के लिए 1.29 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक डिविडेंड भुगतान विफल हो जाते हैं.
शेयर बाजार को लेकर सेबी ने फिर से कुछ नियमों में बदलाव कर दिया है. शेयर बाजार को रग्युलेट करने वाली संस्था सेबी ने लिस्टेड कंपनियों के लिए डिविडेंड, ब्याज जैसे सभी पेमेंट केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से देने का प्रस्ताव दिया है. सेबी का ये नया नियम निवेशकों के लिए पेमेंट प्रॉसेस को आसान बनान है. साथ ही सुरक्षा और सुविधा को बढ़ाना है.
सेबी के वर्तमान एलओडीआर नियम इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट की अनुमति देते हैं, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक विफल होने पर चेक या वारंट की अनुमति भी देते हैं. यह खास तौर पर 1500 रुपये से ज्यादा की रकम के लिए है. हालांकि की अब सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही पेमेंट की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा गया है, जिससे निवेशकों के लिए सुरक्षा और बढ़ जाएगी.
क्यों आती है पेमेंट को लेकर दिक्कत? सेबी ने कहा कि पेमेंट तब नहीं हो पता है जब इक्विटी होल्डर्स का बैंक डिटेल गलत या उपलब्ध नहीं है, जिसके लिए कंपनियों को चेक भेजने की जरूरत होती है. हाल के आंकड़ों के अनुसार, टॉप 200 लिस्टेड कंपनियों के लिए 1.29 प्रतिशत इलेक्ट्रॉनिक डिविडेंड भुगतान विफल हो जाते हैं. सेबी ने अपने परामर्श पत्र में डीमैट और फिजिकल रूप से शेयर रखने वाले इक्विटी होल्डर्स को डिविडेंड और ब्याज समेत सभी भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप में करने का प्रस्ताव दिया है.
म्यूचुअल फंड के लिए हुआ ये ऐलान सेबी ने म्यूचुअल फंड के नियमों में भी बदलाव किया है. सेबी ने म्यूचुअल फंडों को क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (सीडीएस) खरीदने और बेचने दोनों की अनुमति दे दी. इसका उद्देश्य कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाना है. सेबी ने एक सर्कुलर में कहा कि सीडीएस में पार्ट लेने का यह फ्लैक्सेबिटी म्यूचुल फंड के लिए अतिरिक्त निवेश उत्पाद के तौर में काम करेगा.
क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप क्या है? Stock Market की भाषा में कहें तो क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप इंश्योरेंस कॉन्ट्रैक्ट की तरह होते हैं, जो उधारकर्ता द्वारा डिफॉल्ट से सुरक्षा देते हैं. इससे म्यूचुअल फंड के लिए सीडीएस डेब्ट इक्विटी के जोखिम को मैनेज करने में मदद करता है. जब कोई म्यूचुअल फंड सीडीएस खरीदता है, तो वह स्पेशल बांड के डिफॉल्ट होने पर सुरक्षा के बदले सेलर को प्रीमियम का पेमेंट करता है.
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