Noida Twin Towers demolition: जमींदोज होकर भी पड़ोसियों को जमाने भर का 'दर्द' दे गए ट्विन टावर
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Twin Towers demolition: चर्चा आम है कि ट्विन टावर के बगल में खड़े दूसरे टावरों को संदेह से देखा जाएगा. कल को अगर कोई बेचना चाहे तो उसे समझौता करना पड़ेगा. किराएदार आएगा तो 20 बार पूछेगा कि आपके बगल में ही थे न ट्विन टावर जो गिरा दिए गए. इस फ्लैट पर कोई असर तो नहीं है न, और मकान मालिक को इसका जवाब देना पड़ेगा. प्रॉपर्टी डीलर सस्ते में सौदा कराने का वादा करेंगे, अरे ट्विन टावर के बगल का है मकान, सस्ते में दिला देंगे.
Noida Supertech Twin Towers demolition: समय 2 बजे, सेक्टर-93 के आसपास की कॉलोनियों के लोग अपने छतों और बालकनियों में पहुंचना शुरू हो गए थे. कई सोसायटियों में जद्दोजहद चल रही थी कि टेरेस की चाबी मिलेगी या नहीं. जिस सोसायटी में चाबी नहीं मिली वहां के कई लोग गाड़ियां लेकर निकल गए. बाकी बालकनियों में मोबाइल लेकर जम गए. पहले लोग ट्रायल ले लेना चाहते थे कि उनके मोबाइल में तस्वीर या वीडियो साफ आएगा या नहीं, जूम होने से पिक्सल फट जा रहे थे और बिना जूम दूर वालों को दिक्कत हो रही थी.
बच्चे ज्यादा उत्साहित थे, उन्हें लग रहा था कि उनसे बेहतर वीडियो कोई बना ही नहीं सकता. वहीं पैरेंट्स को यह पल फिसल जाने का डर सता रहा था, अगर बेटा नहीं ले पाया तो फिर किसी से मांगना पड़ेगा. और सोशल मीडिया पर दूसरे से लेकर वीडियो फोटो डालें फिर वो मजा नहीं आता. 2.20 तक यह चकल्लस चलती रही. जैसे-जैसे समय नजदीक आ रहा था धड़कनें बढ़ती जा रही थीं. 2.22 तक आखिरकार फिक्स हो गया कि मोबाइल किसके हाथ में रहेगा.
आखिरकार वह घड़ी आ गई, एक दो लोगों की घड़ियां तेज थीं, 2.30 बज गए लेकिन गुबार नहीं उठा, मोबाइल को टावर पर टिकाए हुए ही सवाल उठने लगे कि 'लग रहा है आगे बढ़ा दिया' अरे कोई चैनल खोलो देखो तो मामला क्या है. कोई कह रहा है अरे भारत में इतनी बड़ी बिल्डिंग गिराई है, लेकिन कोई मोबाइल हटाने को तैयार नहीं. इतने में धुएं का गुबार उठा विस्फोट की आवाजें लोगों के कानों तक पहुंचीं और गुबार के साथ ही लोग चिल्ला पड़े गिरा दिया. अरे वो देखो धूल, धीरे-धीरे धूल का दायरा बढ़ने लगा.
15 मिनट बाद 5 किमी तक धूल की गंध महसूस की जाने लगी. लोग छतों से बालकनियों से नीचे उतरने लगे. चिंता सताने लगी कि बालकनी में जो कपड़े हैं उस पर धूल न जम जाए. बच्चों को सफोकेशन न हो जाए. 'माता जी तो अस्थमेटिक हैं उन्हें मास्क पहनने को बोलो'. आधे घंटे बाद पुलिस सायरन की आवाज आने लगी. जैसे-जैसे धुएं का गुबार फैल रहा था वैसे वैसे ही सायरन की आवाज बढ़ने लगी, प्रशासन ने पहले ही मना कर रखा था कि बालकनी या टेरेस पर नहीं जाना है इसलिए बहुत से लोगों ने कमरे में आना ही उचित समझा. नीचे आकर लोग टीवी से चिपक गए. 'अरे यार ये तो टीवी पर ज्यादा अच्छे से दिख रहा है'. दूसरा कुछ और कह रहा है अरे टीवी पर तो पहले भी देखा है विदेश की बिल्डिगों को गिरते हुए देखा है, 'आंखों से देखना था भाई फिर ऐसा नजारा देखने को कहां मिलेगा'.
शनिवार की रात का नजारा समय रात 11.30 बजे
पुलिस ने एक तरफ से जाने का रास्ता बंद कर दिया था लेकिन लोग, उधर से पहुंचने की कोशिश कर रहे थे. मेरा बेटा भी उस्ताहित था, हमें एकदम पास से पहुंचना था सेल्फी लेनी थी. रास्ता मिल गया, पुलिस बस अराजकता से बचाना चाहती थी लेकिन उसकी कोई ऐसाी मंशा नहीं थी कि कोई वहां पहुंच ही न पाए. हम लोग भी पहुंच गए. गाड़ियां आ रही थीं. लोग उतरते, सेल्फी लेते साथ में आए मम्मी, ताऊ, बेटे-बेटी को बताते कि यही वो बिल्डिंग है जो कल गिरा दी जाएगी. हर कोई खड़ी बिल्डिंग को कैमरे में कैद कर लेना चाहता. चैनल और यूट्यूबर भी अपने काम में लगे हुए थे. हर एक से यही सवाल क्यों आए हैं. क्या देखना चाहते हैं, अच्छा तो आप इतनी दूर से आए हैं. फोटो खींचते समय भी कुछ लोग आह भरते कि 'इसे गिराना नहीं चाहिए था'. दूसरा उसे झिड़क रहा होता कि देख रहे हो जो वाली बिल्डिंग है उसमें कुछ हवा-पानी जा पा रहा है. एमराल्ड कोर्ट के अंदर उन्हीं लोगों की गाड़ियां जा पा रही थीं जो वहां रह रहे थे. जानने वाले बाहर थे. बताया जा रहा है कि इतने बड़े धमाके के चलते आसपास की कुछ इमारतों में भी नुकसान हुआ है. एमराल्ड कोर्ट और एटीएस के कुछ फ्लैटों के शीशे टूटे हैं, एटीएस की 10 मीटर की चारदीवारी के भी गिरने की बात कही जा रही है.
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