NDA के रास्ते बंद-कांग्रेस के द्वार से भी लौटे...प्रशांत किशोर का अगला पड़ाव क्या होगा?
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Prashant Kishor: कांग्रेस के साथ चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की बात नहीं बन सकी. जबकि बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए में पहले से ही उनके दरवाजे बंद हैं. ऐसे में प्रशांत किशोर के पास अपने 2024 के फॉर्मूले को अमलीजामा पहनाने के लिए क्या-क्या सियासी विकल्प बचते हैं, जिसके सहारे पीके आगे बढ़ेंगे?
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर आखिरकार मंगलवार को विराम लग गया है. कांग्रेस ने पीके को मन मुताबिक संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की पूरी आजादी देने से इनकार कर दिया तो प्रशांत किशोर ने भी कांग्रेस में शामिल होने के सोनिया गांधी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. ऐसे में सवाल उठता है कांग्रेस से किनारा करने के बाद अब प्रशांत किशार का अगला सियासी पड़ाव क्या होगा और 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी को हराने वाले अपने फॉर्मूला का वो कैसे प्रयोग करेंगे?
पीके को कांग्रेस में एंट्री न मिलने की घोषणा करते हुए कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी में 2024 लोकसभा चुनावों के लिए एक एम्पार्वड एक्शन ग्रुप बनाकर प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन पीके राजी नहीं हुए. वहीं, प्रशांत किशोर ने भी ट्वीट करके कहा है कि कांग्रेस में गहराई तक जड़ें जमा चुकीं सांगठनिक समस्याओं को परिवर्तनकारी सुधारों के जरिए सुलझाने के लिए मुझसे ज्यादा पार्टी को नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है.
पीके की कांग्रेस के साथ सियासी पारी को शुरू करने की संभावनाओं के अध्याय पर भले विराम लग गया है, लेकिन अब भी उनके लिए सियासी दरवाजे खुले हुए हैं. हालांकि, प्रशांत किशोर अब महज चुनावी रणनीतिकार के तौर पर ही नहीं बल्कि सक्रिय राजनीतिज्ञ के तौर पर काम करना चाहते हैं. इसीलिए कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे ताकि एक राष्ट्रीय पार्टी के साथ जुड़कर काम कर सकें, लेकिन बात नहीं बन सकी. ऐसे में अब पीके के सामने अपने फॉर्मूले को अमलीजामा पहनाने के लिए क्या सियासी विकल्प बचते हैं, ये सवाल हैं?
एनडीए का दरवाजा पूरी तरह बंद प्रशांत किशोर 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी रणनीति बनाने और बीजेपी की सत्ता में वापसी कराकर चर्चा में आए थे. मोदी के पीएम बनते ही पीके के बीजेपी से ऐसे रिश्ते बिगड़े कि उनका नाता ही पूरी तरह से टूट गया. इसके बाद नीतीश के साथ वो पहले चुनावी रणनीतिकार के तौर पर जुड़े और फिर 2018 में जेडीयू का दामन थाम पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बन गए. जेडीयू के साथ पीके अपनी सियासी पारी बहुत ज्यादा आगे नहीं बढ़ा सके और 2020 में नाता तोड़ लिया. इस तरह प्रशांत किशोर बीजेपी और जेडीयू के साथ अपने रिश्ते बिगाड़कर पहले ही एनडीए में अपने दरवाजे बंद कर चुके हैं. एनडीए में कोई दूसरा बड़ा दल नहीं है, जिसके साथ वो जुड़ सकें. इस तरह से उनके लिए एनडीए में कोई विकल्प नहीं बनता नजर आ रहा है?
यूपीए के लिए सूत्रधार का काम करेंगे प्रशांत किशोर ने 2024 में बीजेपी को रोकने के लिए एक प्लान तैयार किया है. कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को अपना प्रजेंटेशन देने से पहले पीके यूपीए में शामिल दल के नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकर 2024 के प्लान पर बातचीत कर चुके हैं. कांग्रेस के साथ भले ही उनकी बात नहीं बन सकी हो, लेकिन यूपीए के लिए सूत्रधार की भूमिका वो निभा सकते हैं. पीके लगातार विपक्षी एकजुटता की बात करते रहे हैं और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने भी ऐसे ही विकल्प सुझाए हैं.
पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि प्रशांत किशोर भले ही कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हों, फिर भी विपक्षी दलों के समन्वयक की भूमिका निभाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अहमद पटेल के निधन के बाद से कांग्रेस के पास कोई ऐसा नेता नहीं है, जो समान विचारधारा वाले दलों के साथ समन्वय बना सके. ऐसे में पीके सभी विपक्षी दलों को एक मेज पर ला सकते हैं. प्रशांत किशोर के संबंध भी यूपीए के तमाम सहयोगी दलों के साथ हैं, जिनके साथ मिलकर बीजेपी को हराने का फॉर्मूला पहले ही रख चुके हैं. ऐसे में पीके क्या छत्रपों को एकजुट कर यूपीए के सूत्र में पिरोने का काम करेंगे?
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