![MDH Inside Story: तांगा चलाकर पैसे कमाए... फिर खोली मसालों की दुकान, दिलचस्प है पाकिस्तान से भारत आए एमडीएच की कहानी](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202404/662f374b3aa20-20240429-295932353-16x9.jpg)
MDH Inside Story: तांगा चलाकर पैसे कमाए... फिर खोली मसालों की दुकान, दिलचस्प है पाकिस्तान से भारत आए एमडीएच की कहानी
AajTak
MDH Masale का इतिहास आजादी से पहले का है और ये विभाजन के बाद पाकिस्तान से दिल्ली के करोलबाग पहुंचा था. यहां एक छोटी सी दुकान से शुरू हुआ इसका सफर हजारों करोड़ रुपये के बिजनेस में तब्दील हो गया.
'असली मसाले सच-सच...MDH-MDH...' इस पंचलाइन से भारत का हर घर परिचित है, लेकिन आज इस एमडीएच मसाले अपने स्वाद को लेकर नहीं, बल्कि अन्य वजहों से सुर्खियों में है. दरअसल, हांगकांग, सिंगापुर, मालद्वीव और फिर अमेरिका में इस ब्रांड के कुछ प्रोडक्ट्स को लेकर जांच चल रही है. इसमें कैंसर का कारण बनने वाले केमिकल्स के इस्तेमाल के आरोप लगाए जा रहे हैं. हालांकि, MDH की ओर से इन आरोपों को झूठा और निराधार बताया गया है. हजारों करोड़ का बिजनेस करने वाले इस मसाला ब्रांड का इतिहास बेहद पुराना है और इसके भारत में पहुंचने से लेकर मसाला किंग बनने तक की कहानी भी खासी दिलचस्प है. आइए जानते हैं...
आजादी से पहले का MDH का इतिहास MDH मसाले की नींव आजादी से पहले रखी गई थी. दिवंगत महाशय धर्मपाल गुलाटी के पिता महाशय चुन्नी लाल गुलाटी ने साल 1937 में सियालकोट (अब पाकिस्तान में) से कारोबार की दुनिया में अपना कदम आगे बढ़ाया था और पहले साबुन, कपड़ा, हार्डवेयर, चावल समेत अन्य चीजों का बिजनेस किया और फिर उन्होंने महाशियां दी हट्टी (MDH) की स्थापना की थी. उस समय उन्हें देगी मिर्च वाले (Deggi Mirch Wale) के नाम से पहचाना जाता था. फिर भारत-पाकिस्तान विभाजन के वक्त इनका परिवार 1947 में दिल्ली आ गया था.
दिल्ली के करोल बाग में खुली पहली दुकान महाशय धर्मपाल गुलाटी ने शुरू से ही अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था और जब विभाजन के समय ये दिल्ली आए, तो उनके पास महज 1500 रुपये थे. उन्होंने इनमें से 650 रुपये खर्च कर एक तांगा खरीदा और इसे चलाकर परिवार का भरण पोषण करने लगे. इस दौरान उनके मन में अपना पारिवारिक मसालों का कारोबार करने का आइडिया भी उमड़ रहा था, इसके लिए उनकी तांगा चलाकर जो भी कमाई होती, उसमें से एक हिस्सा बचाकर जमा करते रहते थे. जब कुछ पैसे इकठ्ठा हो गए, तो धर्मपाल गुलाटी ने दिल्ली के करोल बाग स्थित अजमल खां रोड पर मसालों की एक छोटी दुकान खोल दी.
छोटी सी दुकान से विदेशों तक का सफर करीब दो महीने तांगा चलाकर और पैसे जुटाकर धर्मपाल गुलाटी ने 'महाशियां दी हट्टी' को दिल्ली में पहुंचा दिया और इसका रजिस्ट्रेशन भी महाशियां दी हट्टी सियालकोट वाले के नाम से कराया गया. गुलाटी के साथ उनका पूरा परिवार अब अपने मसालों के कारोबार पर फोकस करने लगा. देगी मिर्च के साथ उन्होंने हल्दी को भी इसमें शामिल कर लिया. दुकान चलने लगी, तो उन्होंने अन्य जगहों पर दुकानें खोलना शुरू कर दिया. इसकी ब्रांच पंजाबी बाग से लेकर खारी बावली तक में खोली गई.
महाशियां दी हट्टी यानी MDH के मसालों का स्वाद लोगों की जुबान पर जैसे-जैसे चढ़ता गया इसका कारोबार भी उसी तेजी के साथ बढ़ता गया और छोटी सी दुकान से शुरू हुआ कारोबार देशभर में फैलने लगा. पहले वे मसाला किसी और से पिसवाते थे, लेकिन कारोबार बढ़ने पर उन्होंने अपनी खुद की फैक्ट्री लगा दी. आज इसकी कई फैक्ट्रियां जो हैं, राजस्थान-पंजाब तक सीमित नहीं बल्कि दुबई से लेकर लंदन तक में हैं.
मसाला मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी MDH मसाले महाशियान दी हट्टी प्राइवेट लिमिटेड के तहत कारोबार करते हैं और देश की प्रमुख मसाला उत्पादक कंपनी है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस सेक्टर करीब 12 फीसदी बाजार हिस्सेदारी एमडीएच मसानले के पास है. महाशय धर्मपाल गुलाटी के साल 2020 में निधन के बाद 2022 में इस मसाला ब्रांड को बेचे जाने की खबरें भी सुर्खियां बनी थीं और इसकी डील हिंदुस्तान यूनिलीवर के साथ हो रही थी. उस समय जो रिपोर्ट्स जारी की गई थीं, उनके मुताबिक मार्च 2022 में MDH Value 10-15 हजार करोड़ रुपये आंकी गई थी.
![](/newspic/picid-1269750-20250204031919.jpg)
Petrol-Diesel Price Today: कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट जारी, जानें आज क्या है पेट्रोल-डीजल का रेट
Petrol-Diesel Prices Today: इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड 75.39 डॉलर प्रति बैरल है, जबकि WTI क्रूड 72.21 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. वहीं, भारत की बात करें तो सरकारी तेल कंपनियों ने आज 04 फरवरी, 2025 को भी सभी महानगरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर ही रखी हैं.