JK: ISI और आतंकियों से कनेक्शन पर एक्शन, एंटी नेशनल एक्टिविटी के आरोप में 4 सरकारी कर्मचारी टर्मिनेट
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जांच में सामने आया कि ये चारों कर्मचारी पाकिस्तान के ISI और आतंकी संगठनों की ओर से काम कर रहे थे. इसे लेकर कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों ने उनके खिलाफ़ सबूत जुटाए थे.
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 4 सरकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है. जम्मू-कश्मीर सरकार के शीर्ष सूत्रों के अनुसार उपराज्यपाल सिन्हा ने भारतीय संविधान की धारा 311 (2) (C) का इस्तेमाल करते हुए ये एक्शन लिया है. जांच में सामने आया कि ये चारों कर्मचारी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठनों की ओर से काम कर रहे थे. इसे लेकर कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों ने उनके खिलाफ़ सबूत जुटाए थे. आतंकवाद के खिलाफ़ जीरो-टॉलरेंस की नीति का पालन करते हुए एलजी मनोज सिन्हा ने आतंकवाद के खिलाफ़ अपनी कार्रवाई में अब तक 50 से ज़्यादा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं, जो आतंकी संगठनों और पाकिस्तान की ISI के लिए काम कर रहे थे.
आतंकी सहयोगी के रूप में काम कर रहे जिन 4 कर्मचारियों के खिलाफ एलजी सिन्हा ने एक्शन लिया है, उनमें 1- अब्दुल रहमान डार (कॉन्स्टेबल जम्मू-कश्मीर पुलिस), 2- अनायतुल्ला शाह पीरजादा (असिस्टेंट लाइनमैन, जल शक्ति विभाग), 3- गुलाम रसूल भट (कांस्टेबल, जम्मू-कश्मीर पुलिस) और 4- शबीर अहमद वानी (शिक्षक, स्कूल शिक्षा विभाग) शामिल हैं.
कौन हैं आतंकी संगठन के लिए काम करने वाले ये कर्मचारी
1- अब्दुल रहमान डार (कॉन्स्टेबल जम्मू-कश्मीर पुलिस)
अब्दुल रहमान डार 2002 में जम्मू-कश्मीर पुलिस की कार्यकारी शाखा में कांस्टेबल के रूप में भर्ती हुए थे. पुलिस प्रशिक्षण स्कूल कठुआ में अपना BRTC कोर्स पूरा करने के बाद उन्हें श्रीनगर स्थित कानून और व्यवस्था के लिए एक रिजर्व पुलिस कंपनी में तैनात किया गया था. इसके बाद उन्हें कारगिल ट्रांसफर कर दिया गया, जहां वे 2009 तक तैनात रहे. 2009 में उन्हें जिला बडगाम में स्थानांतरित कर दिया गया, इसके बाद वह वर्तमान में यहीं तैनात रहे. लेकिन अब उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है.
अब्दुल रहमान डार पुलवामा जिले के त्राल क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं, जो पिछले तीन दशकों से पारंपरिक रूप से आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों का केंद्र रहा है, जिसका मुख्य कारण क्षेत्र में जमात-ए-इस्लामी (अब प्रतिबंधित) का मजबूत प्रभाव है. त्राल क्षेत्र के स्थानीय पुलिसकर्मियों का अलगाववादी और आतंकवादी गठजोड़ 2004-06 में एक गंभीर समस्या बन गया था. इस खतरे से निपटने के लिए पुलिस विभाग ने बड़ी संख्या में त्राल क्षेत्र के मूल पुलिसकर्मियों को लद्दाख संभाग में स्थानांतरित किया था. जबकि लेकिन कुछ लोगों ने आतंकवादियों के साथ जानबूझकर अपना सहयोग जारी रखा.
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