INDIA गुट में कलह जहां पहुंच गई है, 5 राज्यों से समझिये कितना कठिन है सीटों के बंटवारा
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विपक्षी गठबंधन INDIA के सामने सबसे बड़ा चैलेंज राजनीतिक दलों के बीच सीटों का बंटवारा है, और उसमें भी बड़ा पेच कांग्रेस को लेकर फंस रहा है - क्योंकि क्षेत्रीय दलों के नेता कह रहे हैं कि अपने इलाके में हिस्सेदारी पर अंतिम फैसला तो वे ही लेंगे.
INDIA गुट के राजनीतिक दलों के लिए अब तक अच्छी बात एक ही है, तीन महीने के लंबे अंतराल के बाद ही सही - 28 दलों के नेता एक जगह बैठ कर तय कर चुके हैं कि आगे भी ऐसे ही मिलते रहेंगे.
देखा जाये तो चुनावी तैयारियों के लिए तीन महीने से ज्यादा वक्त नहीं बचा है. मई, 2024 के आखिर तक लोक सभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो चुकी होगी - और केंद्र में सरकार चलाने के लिए नये सिरे से मैंडेट मिल चुका होगा.
विपक्षी गठबंधन की सकारात्मकता की भी दाद देनी होगी, बगैर किसी तैयारी के डंके की चोट पर कहा जा रहा है कि बीजेपी को हराएंगे. जोश बढ़ाने और बनाये रखने के लिए तो ये सब वैसे ही है जैसे कई लोग मोटिवेशनल स्पीच सुनते हैं और किताबें पढ़ते रहते हैं, लेकिन नतीजे तो जमीन पर काम करने से ही आते हैं.
हकीकत तो यही है कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर भी बात हो जाती है, लेकिन सीटों के बंटवारे पर बस इतना ही आश्वस्त किया जा रहा है कि मामला सुलझा लेंगे. इस मुद्दे पर अखिलेश यादव और ममता बनर्जी दोनों के मुंह से एक जैसी ही बातें सुनने को मिली हैं. ममता बनर्जी ने तो सीटों के बंटवारे का मुद्दा 31 दिसंबर तक सुलझा लेने की भी सलाह दी है.
आइडिया ये है कि सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय हो जाये तो बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुकाबले के लिए सारे विपक्षी नेता मिल कर मैदान में उतरें. कोशिश है कि दिसंबर के आखिर तक सीट शेयरिंग पर आम सहमति बन जाये तो अयोध्या में राम मंदिर के लिए मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले यानी 22 जनवरी, 2024 तक रैलियां और चुनाव कैंपेन रफ्तार पकड़ ले.
अगर वास्तव में ऐसा हो पाता है, तो अखिलेश यादव की उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 80 सीटों पर हराने का दावा सुन कर थोड़ा बहुत हजम तो किया ही जा सकता है. विपक्षी गठबंधन की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में अखिलेश यादव का कहना था, 'यूपी में गठबंधन 80 सीटों पर हराएगा... और भारतीय जनता पार्टी देश से हट जाएगी.' लेकिन गठबंधन तो तभी हो पाएगा जब सीटों के बंटवारे पर सहमति बन पाएगी. इस मुद्दे पर अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि यूपी में तो सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला वही तय करेंगे - और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल से लेकर बिहार में तेजस्वी यादव तक बिलकुल ऐसी ही बातें कर रहे हैं.
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