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Hindenburg का ये है असली खेल, पहले खुलासा... फिर 'Short Selling' से कमा लेता है मोटा पैसा
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What Is Short Selling : हिंडनबर्ग रिसर्च का नाम चर्चा में आते ही शॉर्ट सेलिंग भी सुर्खियों में आ जाता है. ये वहीं तरीका है जिसका इस्तेमाल करके अमेरिकी शॉर्ट सेलर Hindenburg तगड़ी कमाई करती है.
हिंडनबर्ग (Hindenburg) का नाम सुर्खियों में आने के साथ ही एक और चीज की चर्चा तेज हो जाती है, जिसका नाम है 'शॉर्ट सेलिंग', जी हां इसी के जरिए अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग मोटी कमाई करती है. हालांकि, Short Selling एक तरह की ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी ही है, लेकिन इसे हथियार बनाकर हिंडनबर्ग जैसी कंपनियां अरबों रुपये छाप लेती हैं. खास बात ये है कि शॉर्ट सेलिंग का पूरा खेल शॉर्ट सेलर द्वारा उधार लिए गए शेयरों से खेला जाता है. आइए जानते हैं शॉर्ट सेलिंग के पूरे खेल के बारे में स्टेप-बाय-स्टेप...
बीते साल हिंडनबर्ग ने कमाए थे करोड़ों रुपये सबसे पहले तो आपको बता दें कि नाथन एंडरसन (Nathan Anderson) की हिंडनबर्ग रिसर्च एक इन्वेस्टमेंट फर्म होने के साथ ही शॉर्ट सेलर कंपनी भी है. जैसा कि इसके नाम से ही साफ हो जाता है कि ये शॉर्ट सेलिंग के जरिए कमाई करती है. Hindenburg कंपनी की प्रोफाइल को देखें तो ये एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर है और यही इसकी अरबों रुपये की कमाई का अहम जरिया भी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल जनवरी महीने में जब हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी की थी, तो एक ओर Adani Stocks में सुनामी देखने को मिली थी, लेकिन दूसरी ओर हिंडनबर्ग ने करीब 4 मिलियन डॉलर या करीब 33.58 करोड़ रुपये छाप डाले थे.
हालांकि, इस बार अडानी के शेयरों पर कुछ खास असर नजर नहीं आ रहा है. गौरतलब है कि हिंडनबर्ग ने SEBI को लेकर, अब जो नई रिपोर्ट जारी की है, उसका कनेक्शन भी कहीं ना कहीं बीते साल शेयरों को शॉर्ट कर की गई मोटी कमाई से निकल रहा है. उसी कमाई को लेकर बाजार नियामक सेबी ने हिंडनबर्ग को शो कॉज नोटिस जारी किया था. हिंडनबर्ग ने उस नोटिस का आधिकारिक जवाब तो नहीं दिया, बल्कि अब सेबी को लेकर ही रिपोर्ट जारी कर दी.
शॉर्ट सेलिंग से कमाई को आसान भाषा में समझें Short Selling दरअसल, एक ऐसी स्ट्रेटजी होती है, जिसमें आप एक ऐसी सिक्योरिटी की बिक्री करते हैं, जो आपके पास होती ही नहीं है. बल्कि ये पूरा खेल उधार के शेयरों के जरिए खेला जाता है. इसमें खास बात ये होती है कि शॉर्ट सेलिंग में ट्रेडिंग करने वाले स्टॉक्स की कीमत बढ़ने के बजाय उसके गिरने पर कमाई करते हैं.
उदाहरण के जरिए समझाएं, तो अगर किसी कंपनी के शेयर को शॉर्ट सेलर इस उम्मीद से खरीदता है कि भविष्य में 200 रुपये का स्टॉक गिरकर 100 रुपये पर आ जाएगा. इसी उम्मीद में वो दूसरे ब्रोकर्स से इस कंपनी के शेयर उधार के तौर पर ले लेता है. ऐसा करने के बाद शॉर्ट सेलर इन उधार लिए गए शेयरों को दूसरे ऐसे निवेशकों को बेच देता है, जो इसे 200 रुपये के भाव से ही खरीदने को तैयार बैठे हैं. वहीं जब उम्मीद के मुताबिक, कंपनी का शेयर गिरकर 100 रुपये पर आ जाता है, तो शॉर्ट सेलर उन्हीं निवेशकों से शेयरों की खरीद करता है. गिरावट के समय में वो शेयर 100 रुपये के भाव पर खरीदता है और जिससे उधार लिया था उसे वापस कर देता है. इस हिसाब से उसे प्रति शेयर 100 रुपये का जोरदार मुनाफा होता है. इसी रणनीति के तहत हिंडनबर्ग कंपनियों को शॉर्ट कर कमाई करती है.
फायदे के साथ इस खेल में जोखिम भी ज्यादा जैसा कि बताया कि Short Selling में शेयरों को शॉर्ट करके पैसा कमाया जाता है. लेकिन जोरदार मुनाफा कमाने के साथ ही ये तरीका जोखिम भरा भी है और अगर दांव उल्टा पड़ जाता है, तो शॉर्ट सेलर को जोरदार घाटा उठाना पड़ता है. इस तरीके को बाजार की सेहत के लिए खराब माना जाता है. दरअसल, अगर इस तरीके में निवेश करने से निवेशकों के पैसे डूबते हैं, तो उनके बाजार से दूरी बनाने के चांस बन जाते हैं, जिसका असर मार्केट ग्रोथ पर भी पड़ता है.
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