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Happy New Year 2025: देश में साल में 5 बार मनाया जाता है नववर्ष, 450 साल पुरानी है 1 जनवरी को मनाने की परंपरा
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एक जनवरी को नववर्ष का आगमान हो चुका है और दुनिया ने धूमधाम से साल 2025 का स्वागत किया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले 1 जनवरी को नया साल कब मनाया गया था. भारत में तो साल में 5-5 बार नववर्ष मनाया जाता है.
दुनियाभर में आज नववर्ष धूमधाम से मनाया जा रहा है. लोग जश्न में नांच-गाकर एक-दूसरे को नए साल की बधाइयां दे रहे हैं. साथ ही नववर्ष में आगे बढ़ने के लिए नए संकल्प ले रहे हैं. लेकिन भारत में नववर्ष सिर्फ एक जनवरी को नहीं बल्कि साल में पांच-पांच बार मनाया जाता है. इसकी वजह है कि सभी पंथों के अपने धार्मिक कैलेंडर हैं और उसी के मुताबिक उन धर्मों के अनुयायी अपना-अपना नववर्ष मनाते हैं.
हिन्दू नववर्ष कब से होता है?
सबसे पहले बात करते हैं हिन्दू धर्म की... तो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष मनाया जाता है क्योंकि हिन्दू कैलेंडर में चैत्र को साल का पहला महीना है और शुक्ल प्रतिपदा को पहली तिथि माना जाता है. इस दिन को नव संवत भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि रचने की शुरुआत की थी और इसी दिन को विक्रम संवत के नए साल का आरंभ माना गया. ब्रिटिश कैलेंडर में ये तिथि अप्रैल के महीने में आती है. भारत में हिन्दू नववर्ष को अलग-अलग भूभाग में विभिन्न नामों से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने देवी-देवाताओं की पूजा-अर्चना करते हैं तो कई जगहों पर धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भी किया जाता है.
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा को जैसे हिन्दू नववर्ष की शुरुआत माना जाता है, वैसे ही इस्लाम में मुहर्रम महीने की पहली तारीख को नया साल शुरू होता है, इसे हिजरी सन की शुरुआत कहा गया है. हजरत मोहम्मद जिस दिन मक्का से निकलकर मदीना आए, उसी दिन से हिजरी कैलेंडर की शुरुआत मानी जाती है. मुस्लिम धर्म में मुहर्रम और रमजान के महीने काफी महत्व रखते हैं. चैत्र-वैशाख की तरह इस्लामिक कैलेंडर में भी मुहर्रम-सफर जैसे 12 महीने होते हैं.
सिख धर्म में नए साल की शुरुआत बैसाखी से होती है. सिखों के नानकशाही कैलेंडर के मुताबिक हर वर्ष 13 या 14 अप्रैल को नया साल मनाया जाता है. माना जाता है इसी दिन सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और इसी दिन से देश के कई हिस्सों में फसलों की कटाई शुरू हो जाती है. वैशाख महीने की शुरुआत भी इस तारीख से होती है. जैन धर्म में दीपावली के आसपास नए साल की शुरुआत होती है और इसे वीर निर्वाण संवत का आरंभ कहा जाता है.
साल में दो बार मनाया जाता है नवरोज
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प्रयागराज में माघ पूर्णिमा के अवसर पर करीब 2 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान शासन-प्रशासन हर मोर्चे पर चौकस रहा. योगी आदित्यनाथ ने सुबह 4 बजे से ही व्यवस्थाओं पर नजर रखी थी. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण ट्रेनों और बसों में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा. देखें.
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हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास में शुक्ल पक्ष का 15वीं तिथि ही माघ पूर्णिमा कहलाती है. इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से खास महत्व है और भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. लोग घरों में भी कथा-हवन-पूजन का आयोजन करते हैं और अगर व्यवस्था हो सकती है तो गंगा तट पर कथा-पूजन का अलग ही महत्व है.