Happy Birthday Gujarmal Modi: घर से सिर्फ 400 रुपये लेकर निकले, फिर बसा दी Industrial City 'मोदी नगर'
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Gujarmal Modi ने अपने कारोबारी सफर में चीनी मिल, तेल, कपड़ा, पेंट और वार्निश, ग्लिसरीन, लालटेन, बिस्किट, टॉर्च, रबर, स्टील, रेशम जैसे बिजनेस तक किए. आजादी के पहले के उन कारोबारी घरानों में मोदी परिवार भी शामिल है, जिसका कारोबार आज भी नई ऊंचाइंया छू रहा है.
गाजियाबाद के पास औद्योगिक शहर मोदी नगर (Modi Nagar) आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है. लेकिन इसके बसने के पीछे बड़ी दिलस्प कहानी है. हाल ही में पूर्व मिस यूनिवर्स सुस्मिता सेन से संबंधों को लेकर चर्चा में आए पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी के दादा गुजरमल मोदी (Gujarmal Modi) ने इस Industrial City को बसाया था. आज उनका जन्मदिन है. आइए जानते हैं कैसे महज 400 रुपये जेब में लेकर निकले गुजरमल ने बड़ा कारोबारी साम्राज्य खड़ा कर दिया.
राम प्रसाद ऐसे बन गए गुजरमल 9 अगस्त 1902 में जन्मे गुजरमल मोदी का बचपन का नाम राम प्रसाद था. उनका लालन-पालन उनकी दाई मां गुजरी देवी ने किया. उनके पिता मुल्तानी मल की कई शादियां हुईं थीं. लेकिन, दाई मां के साथ उनका प्रेम इतना अटूट था कि बाद में उनका नाम भी गुजरमल पड़ गया. कम उम्र में कारोबारी दुनिया में कदम रखने वाले गुजरमल मोदी को अंग्रेजो ने रायबहादुर की उपाधि दी थी. वे महज 400 रुपये लेकर अपने घर से निकले थे और अपनी मेहनत लगन के दम पर एक पूरा औद्योगिक शहर 'मोदीनगर' बसा दिया था.
17 साल में कारोबार की शुरुआत राय बहादुर सेठ गुजरमल मोदी हरियाणा से संबंध रखते थे. उन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में ही कारोबार की दुनिया में कदम रख दिया था. 1919 में वह अपने पिता के साथ घर का बिजनेस करने लगे थे, लेकिन उनकी किस्मत उन्हें दूर ले जाने वाली थी. वह जेब में सिर्फ 400 रुपये लेकर घर से निकल गए और वनस्पति (वनस्पति घी/तेल) का काम करने लगे.
ऐसे पलट गई गुजरमल की किस्मत गुजरमल मोदी की जिंदगी ने पलटी तब मारी, जब उन्होंने दिल्ली से लगभग 50 किलोमीटर दूर बेगमाबाद इलाके में 100 बीघा जमीन खरीदी. साल था 1933, इंग्लैंड से लाई मशीनों के साथ उन्होंने इस इलाके में एक चीनी मिल शुरू की. बेगमाबाद का ये इलाका आज के दौर में गाजियाबाद के ‘मोदीनगर’ के नाम से जाना जाता है.
साबुन, टॉर्च और लालटेन का बिजनेस चीनी मिल के सफल होने के बाद गुजरमल 1939 में अपने पहले बिजनेस पर लौट आए और वनस्पति घी-तेल का काम करने लगे. इसके साथ ही उनका पूरा ध्यान अपने कारोबार के विस्तार पर रहा. गुजरमल के हाथ एक बड़ी सफलता 1941 में लगी, जब उन्होंने वनस्पति की मदद से साबुन बनाने का काम शुरू किया. इसके बाद तो उन्होंने अपने कारोबारी सफर में तेल, कपड़ा, पेंट और वार्निश, ग्लिसरीन, लालटेन, बिस्किट, टॉर्च, रबर, स्टील, रेशम जैसे बिजनेस तक किए.
मोदी समूह की हुई शुरुआत 1942 में उनके कारोबारी योगदान और मोदीनगर जैसा शानदार टाउनशिप स्थापित करने के लिए उन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने ‘राय बहादुर’ की उपाधि से नवाजा. इसके बाद 1963 तक गुजरमल मोदी की कारोबारी विरासत Modi Group में बदल गई. उन्हें भारत सरकार ने 1968 में पद्म भूषण से भी नवाजा.
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