Ground Report: शादी बड़े से, लेकिन पति सारे भाई बन गए, हिमाचल के इस गांव में घर-जमीन न बंटे इसलिए बंट जाती है पत्नी!
AajTak
हिमाचल प्रदेश का सिरमौर जिला! ऊंची-नीची पहाड़ियों से घिरे इलाके में ऊपर की तरफ बढ़ें तो एक खास गंध नाक से होते हुए गले में अटकती है. हरे पत्ते-पत्तियों की, चूना पत्थरों की, देवदार की और रिवाजों की. मिली-जुली यही महक वहां की औरतों में भी बसती है. वे औरतें, जो जमीन-घर न बंटने देने के लिए खुद बंट जाती हैं. कई-कई भाइयों के बीच. ये ‘जोड़ीदारां’ प्रथा है, जहां चूल्हा साझा रह सके, इसलिए पत्नी भी साझेदारी में रह जाती है.
25 साल पहले बड़े भाई से ब्याह करके गांव आई. देवर तब स्कूल जाता था. बड़ा हुआ तो घरवाले ने कहा - इसे भी अपना लो. मैं बाहर आता-जाता रहता हूं. ये साथ देगा. अब दोनों से ही रिश्ता है. मेरे कमरे में आने की पारी लगा रखी है. एक शाम बड़ा भाई आता है. अगले दिन छोटे का नंबर. 'तकलीफ नहीं हुई?' हुई क्यों नहीं. धुकधुकी लगी रहती कि साथ रहने के बाद छोटा घरवाला मुझे छोड़कर दूसरी गांठ न बांध ले! थकी होती तब भी इसी डर से मना नहीं कर पाती थी. लेकिन फिर निभ गई.
बच्चे किसके हिस्से आए?
उनको भी बांट लिया. छोटे के हिस्से छोटा लड़का आया. बड़े घरवाले को तीन बच्चे और मेरी शादी मिली.
देवदार से बनी छत के नीचे मेरी बात सुनीला देवी से हो रही है. जोड़ीदारां यानी जॉइंट शादी में रहती ये महिला खुलकर हंसती है. पहाड़ों पर पहाड़ी नदी जैसी फुर्ती से चलती है. बाहरियों से बात करने में भी सहज खुलापन. कैमरा देखकर वे मुंह नहीं फेरती, बल्कि आंखों में सीधी ताकती है. मानो ललकारती हो- तुम पूछो, जो सोचती हो. पूछ पाओगी तो मैं बता दूंगी.
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले को गिरि नदी दो भागों में बांटती है- गिरि-आर और गिरि-पार. गिरि-पार या ट्रांस-गिरि वो इलाका है, जहां हाटी समुदाय बसता है. कुछ ही महीनों पहले इस कम्युनिटी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला. समाज के जानकार मानते हैं कि इसमें बड़ा हाथ जोड़ीदारां जैसी प्रथाओं का भी था. बहुपतित्व का रिवाज हाटियों में आम है.वहां के बुजुर्ग इसके पीछे चाहे जितने तर्क दे दें, लेकिन पहली नजर में खरे सोने-सी दमकती दलीलों के पीछे अनबहे आंसू भी हैं, जिनका खारापन चाहे-अनचाहे साझा पत्नियों की बातों में झलक ही जाता है.
सुनीला कहती हैं- जब आई तो घर-जाखड़ कुछ नहीं था. पूरी बिनाई की एक कोटी (स्वेटर) थी. बाहर जाते हुए वही सास पहनती, या मैं जाऊं तो मुझे मिल जाती. जूतियां भी एक. फिर मुझे तो बंटना ही था!
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.