Explainer: सत्ता बदलते ही बिहार में अब CBI के लिए No Entry, जानिए राज्यों में केंद्रीय एजेंसियों के लिए क्या हैं नियम
AajTak
बिहार में सीबीआई की एंट्री बैन हो गई है. सरकार बदलते ही सीबीआई को जांच के लिए दी जाने वाली 'सामान्य सहमति' को वापस ले लिया गया है. अब सीबीआई को जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी. सरकार ने ये फैसला तब लिया है, जब एक हफ्ते पहले ही सीबीआई ने छापेमारी की थी.
बिहार में सरकार बदलते ही नियम भी बदलने शुरू हो गए हैं. अब बिहार में भी केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की एंट्री बंद हो गई है. यानी, अब वहां पर सीबीआई की एंट्री तभी होगी, जब राज्य सरकार चाहेगी.
कानूनन सीबीआई को किसी मामले की जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरूरी होती है. हालांकि, जब तक वहां जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी, तब तक सीबीआई की एंट्री हो जाती थी, लेकिन अभी वहां सीबीआई को जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी जरूरी होगी.
बिहार में सीबीआई की एंट्री बंद होने पर बीजेपी ने सवाल उठाए हैं. बीजेपी का कहना है कि ऐसा करके नीतीश सरकार आरजेडी के 'भ्रष्ट' नेताओं को बचा रही है. वहीं, सरकार का कहना है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है और राजनीतिक बदले की भावना से इस्तेमाल कर रही है.
बिहार में इसी महीने सरकार बदल गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली. इससे पहले जुलाई 2017 में नीतीश ने महागठबंधन का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. बिहार में अब महागठबंधन की सरकार है, जिसमें जेडीयू और आरजेडी के अलावा कांग्रेस, सीपीआईएमएल (एल), सीपीआई, सीपीआई (एम) और हम पार्टी शामिल है. इनके पास बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 160 से ज्यादा सीटें हैं.
तो क्या अब सीबीआई एंट्री नहीं कर सकेगी?
नहीं. सीबीआई भले ही केंद्र सरकार के अधीन है, लेकिन ये तभी किसी मामले की जांच करती है, जब हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट या केंद्र से आदेश मिलता है. अगर मामला किसी राज्य का है, तो जांच के लिए वहां की राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.