EVM कौन बनाता है और यह कैसे काम करती है, क्या इसे एक्टिवेट करने के लिए OTP की जरूरत होती है? 7 बड़े सवालों के जवाब
AajTak
टेस्ला कंपनी के मालिक एलन मस्क के एक ट्वीट और मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट को लेकर आई खबर के बाद से ईवीएम पर फिर से सवाल खड़े हो रहे हैं. रविवार को एक खबर प्रकाशित हुई थी, जिसमें कहा गया था कि शिवसेना उम्मीदवार रवीन्द्र वायकर के एक रिश्तेदार ने 4 जून को मतगणना के दौरान एक मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था.
दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपतियों में शुमार टेस्ला कंपनी के फाउंडर एलन मस्क ने ईवीएम पर बैन लगाने का एक ऐसा पोस्ट किया, जिसके बाद भारत में भी इस पर बहस छिड़ गई. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मुंबई से आए एक मामले का जिक्र करते हुए ईवीएम को ब्लैक बॉक्स बताया. इसके अलावा कई और भी विपक्षी दलों ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं.
ऐसा नहीं है कि ईवीएम पर पहली बार सवाल उठ रहे हैं. इससे पहले भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर लगातार बहस होती रही है और चुनाव आयोग भी लगातार सफाई देते रहा है. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि क्या ईवीएम मोबाइल फोन या ओटीपी से अनलॉक हो सकती है? या ईवीएम को किसी वायरलैस डिवाइस से कनेक्ट किया जा सकता है? आइए इन्हीं सवालों का जवाब जानते हैं...
ईवीएम को बनाता कौन है?
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) विभिन्न प्रकार के चुनावों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का निर्माण करता है. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के तहत एक नवरत्न पीएसयू है. यह सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और सिस्टम बनाती है.
यह भी पढ़ें: 'भारत में EVM तो ब्लैक बॉक्स है, जिस पर कोई सवाल नहीं उठा सकता', बोले राहुल गांधी
ईवीएम में दो यूनिट होती हैं, कंट्रोल यूनिट (सीयू) और बैलट यूनिट (बीयू) होते हैं. कंट्रोल यूनिट में मतदान के संपूर्ण नियंत्रण, मतदान का संचालन, डाले गए कुल मतों का प्रदर्शन और परिणामों की घोषणा का ध्यान रखा जाता है. यह कुछ बटन दबाने पर सभी जानकारी प्रदान करती है. दूसरी बैलेट यूनिट होती है जो एक सरल मतदान उपकरण है. यह उम्मीदवारों की सूची प्रदर्शित करती है. इसमें नाम और प्रतीक चिह्न दर्ज करने की सुविधा होती है. मतदाता को प्रत्येक उम्मीदवार के नाम के पास स्थित वांछित स्विच दबाना होता है.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.