DNA ANALYSIS: कालादान प्रोजेक्ट से चीन पर कड़ा प्रहार, जानिए क्या है Act East Policy का रोड मैप
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कालादान प्रोजेक्ट के तहत भारत को पहली कामयाबी तब मिली, जब सिटवे बंदरगाह का काम पूरा हुआ. अब दूसरी बड़ी चुनौती को पूरा किया जा चुका है.
नई दिल्ली: आज हम बात करेंगे म्यांमार बॉर्डर पर भारत को म्यांमार और थाइलैंड से जोड़ने वाले कालादान प्रोजेक्ट की. पिछले कुछ दशकों में चीन ने महाशक्ति बनने के लिए एशिया में पैर फैलाने शुरू किए थे और स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स यानी भारत के पड़ोसी देशों में अपनी रणनैतिक मौजूदगी बढ़ाकर भारत की घेरेबंदी शुरू की. बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, पाकिस्तान में चीन ने बंदरगाह, सड़क और रेलमार्ग बनाने शुरू किए जिसका सीधा मकसद एशिया में अपनी पकड़ मजबूत करके भारत पर चौतरफा दबाव बनाना था. भारत ने 90 के दशक में लुक ईस्ट पॉलिसी यानी पूर्वी एशिया के देशों के साथ संबंध मजबूत बनाने शुरू किए जिसे 2014 में मोदी सरकार ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी का नाम दिया और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ रणनैतिक संबंधों पर ज्यादा जोर देना शुरू किया. दक्षिण पूर्व एशिया के देशों तक पहुंच बनाने के लिए और इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए 2008 में कालादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार हुई. इसके तहत भारत के उत्तर-पूर्व राज्यों के साथ-साथ दक्षिण एशिया के देशों तक पहुंचने के लिए सबसे छोटा रास्ता बनाना था.More Related News
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